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आधुनिकता की होड़ में माताएँ

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लंदन , गुरुवार, 10 अप्रैल 2008 (15:50 IST)
आधुनिकता की हवा इतनी तेज है कि इसमें प्रेम उड़ता नजर आ रहा है। एक नया अध्ययन कहता है कि आधुनिकता की होड़ में कई माँ अपने बच्चों का जीवन खराब कर रही हैं।

ब्रिटेन के शोधकर्ताओं ने यह पाया कि तुलनात्मक रूप से आधुनिक माताएँ अपने करियर के चलते अपने मातृत्व को दाँव पर लगा रही हैं। उन्हीं के इस तरह के आचरण के कारण बच्चों का जीवन खराब हो रहा है।

शोध करने वालों का कहना है कि ज्यादा से ज्यादा आकांक्षाओं और प्रतिस्पर्धा के चलते ऐसा हो रहा है। इस कारण से महिलाओं के आत्मविश्वास में तेजी से कमी आ रही है और वे अपने बच्चों के लिए सही निर्णय नहीं ले पा रही हैं।

अध्ययन का शीर्षक 'द मेकिंग ऑफ मॉर्डन मदरहुड' है। यह अध्ययन पी‍ढ़ियों में आए अंतर का जिक्र करता है। यह बताता है कि नाना-नानी भी इस बात को लेकर चिंतित हैं कि उनके बच्चे किस तरह से अपने बच्चों को बड़ा कर रहे हैं।

नाना-नानी और दादा-दादी का कहना है कि उन्होंने बड़ी आसानी से अपने बच्चों को बड़ा किया। 1950, 1960, और 1970 के दशकों में बच्चे बड़े करना बड़ा आसान था, परंतु आज के माँ-बाप को बच्चों को बड़ा करने में बड़ी परेशानी आ रही है।

अब माताओं को अपने बच्चों की छोटी से छोटी चीजों का ध्यान रखना होता है, उनके खाने से लेकर, व्यायाम और स्कूल से लेकर होमवर्क तक का। इस रिपोर्ट के सह-लेखक प्रो. राचेल थॉमसन का कहना है कि उन्होंने इतने बड़े पैमाने पर माताओं से बात की, इसके साल भर बाद एक बार फिर से उनका साक्षात्कार लिया। वे कहती हैं कि उन्होंने इनके परिजनों से भी चर्चा की।

वे कहती हैं कि 20वीं सदी के मध्य में जो महिलाएँ माता बनी हैं वे समझती हैं कि पहले के समय में और अब काफी अंतर आ चुका है। परंतु वे यह नहीं समझ पा रही हैं कि पालकों पर आधुनिक दौर में काफी सामजिक दबाव हैं। (नईदुनिया)

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