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कुरान जलाने की योजना से सरकार नाराज

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वॉशिंगटन , बुधवार, 8 सितम्बर 2010 (11:25 IST)
अमेरिका में फ्लोरिडा के एक पादरी द्वारा 11 सितंबर को कुरान की प्रति जलाए जाने के प्रस्ताव को लेकर ओबामा प्रशासन ने कहा है कि यह कृत्य ‘गैर अमेरिकी’ है और इस तरह के कार्यों से अफगानिस्तान और विश्व के अन्य भागों में अमेरिकी हितों को खतरा पहुँच सकता है।

अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता पीजे क्राउले ने ऐसी आशा व्यक्त की कि पादरी अपने इस घोषित कार्य को अंजाम नहीं देंगे और कहा कि अमेरिका इस बात से पूरी तरह अवगत है कि इस घटना के बाद विदेशों में रह रहे अमेरिकी नागरिकों, कूटनीतिज्ञों और सैन्य बलों पर क्या प्रभाव पड़ेगा।

क्राउले ने कहा कि हमारा ऐसा मानना है कि यह उकसावे वाली कार्रवाई है, ऐसा करने वाले अशिष्ट, असहनशील और विघटनकारी हैं और हम इस बात को जानते हैं कि इसके खिलाफ कई आवाजें उठी हैं जिन्होंने पादरी और उसके समुदाय के इस प्रस्तावित कार्य को नकार दिया है।

हम यह देखना चाहेंगे कि ज्यादा से ज्यादा अमेरिकी इस घटना के विरोध में खड़े हों और कहें कि यह हमारे मूल्यों के खिलाफ है। वैसे भी यह कार्य ‘गैर अमेरिकी’ है।

अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने कहा कि वह फ्लोरिडा के एक पादरी द्वारा पवित्र कुरान को जलाने के प्रस्तावित 'असभ्य और शर्मनाक' कृत्य की आलोचना करने वालों के साथ हैं।

उन्होंने कहा कि इससे पहले व्हाइट हाउस ने अफगानिस्तान में अपने शीर्ष कमांडर डेविड पेट्रायस की इस बात से सहमति जताई कि फ्लोरिडा के एक पादरी के तथाकथित 'कुरान जलाओ दिवस' से विदेशों में खासकर युद्धग्रस्त देश में अमेरिकी बलों को खतरा पैदा होगा।

काबुल में एक बयान में जनरल पेट्रायस ने कहा कि वह कुरान जलाने के पादरी के प्रस्ताव से क्षुब्ध हैं। उन्होंने कहा कि इससे कि बलों को खतरा पहुँच सकता है और समूचे प्रयासों को झटका लग सकता है। (भाषा)

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