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गाजावासी भी अमिताभ के दीवाने

गम भुलाने के लिए बॉलीवुड फिल्में

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यरूशलम (भाषा) , बुधवार, 2 जनवरी 2008 (13:40 IST)
यरूशलम में फिलीस्तीन और इसराइलियों के बीच जारी संघर्ष से लोग परेशान हैं, लेकिन तमाम दुश्वारियों के बावजूद गाजा के लोगों का बॉलीवुड फिल्मों के लिए आकर्षण कम नहीं हुआ है और वे इन फिल्मों के जरिए अपने तमाम दु:खों को भूलने की कोशिश करते हैं।

गाजा सिटी में मास्टर ऑफ मूवीज डीवीडी स्टोर के मालिक इहाद ने बताया बॉलीवुड फिल्मों की काफी माँग है। इन दोनों लोगों के पास किराए पर डीवीडी लेने के लिए पैसा नहीं है लेकिन कुछ लोगों को हिंदी फिल्मों का नशा है और वे लगातार फिल्में लेकर जाते हैं।

वह बताते हैं कि विभिन्न टीवी चैनलों द्वारा हिंदी फिल्मों का प्रसारण किए जाने पर बड़ी संख्या में लोग उन्हें देखते हैं। शुक्रवार और शनिवार को अमिताभ बच्चन की फिल्मों का प्रसारण किए जाने के दौरान तो मानो यहाँ जिंदगी की बाकी सारी गतिविधियाँ रूक जाती हैं।

अरबसेट और नीलसेट नेटवर्क पर कई चैनल सप्ताह में कई हिंदी फिल्में दिखाते हैं। गाजा के लोगों के बीच हिंदी फिल्मों के प्रसारण के कारण बहरीन 55, इनफिनिटी रितमो, कुवैत चैनल 2 तथा इरिट्रिया चैनल काफी लोकप्रिय हैं।

गाजा में सभी आयु वर्ग के फलस्तीनी हिंदी फिल्मों के दीवाने हैं। अयमान आबिद बताते हैं मेरे परिवार में कोई ऐसा नहीं होगा जो हिंदी फिल्म के प्रसारण के दौरान टीवी के आगे से उठ जाए। हमें फिल्म के बीच में अवकाश की भी जरूरत नहीं है और हिंदी फिल्में ऐसी होती भी नहीं है कि उनके बीच में व्यावधान बर्दाश्त किया जाए।

15 वर्षीय अरशद बताते हैं कि गाजा पट्टी में इसराइल द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों तथा अधिकतर व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को बंद किए जाने के कारण लोगों में हिंदी फिल्मों के प्रति आकर्षण बढ़ा है। इससे लोगाें को अपनी दुश्वारियों से कुछ ही समय के लिए सही लेकिन भुलाने में मदद मिलती है।

वह कहते हैं ये बेहद शानदार और जीवंत हैं। यदि यह कहा जाए कि हिंदी फिल्में हमें अपने दुखों को भुलाने में मदद करती हैं तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। गाजा वासियों में बिग बी के लिए अनोखी दीवानगी है और उनकी बेहद हिट फिल्म 'शोले' साल में कई टीवी चैनलों द्वारा कई बार दिखाई जाती है।

एक फलस्तीनी से विवाह रचाने वाली भारतीय युवती अलका कहती हैं कि अमिताभ बच्चन भारतीयों के प्रतीक हैं। गाजा में हर भारतीय को अमिताभ बच्चन का नाम लेकर नमस्ते किया जाता है। स्थानीय आबादी में भारतीय संस्कृति के लिए बेहद उत्साह है, जो भारतीयों को काफी सम्मान देते हैं।

गाजा के अधिकतर डीवीडी स्टोर्स में हिंदी फिल्मों का अच्छा संग्रह है और ऐसा हो ही नहीं सकता कि किसी स्टोर में अमिताभ बच्चन की फिल्में न हों।

एक फलस्तीनी से शादी रचाने वाली एक अन्य भारतीय महिला लुबना कहती हैं कि आपको यह जानकर हैरानी होगी कि कभी कभार हमें नई फिल्मों की भी डीवीडी मिल जाती हैं। इस सप्ताह हमने 'ओम शांति ओम 'देखी। इसकी यहाँ काफी माँग है और मुझे भी इसे लेने के लिए कुछ समय इंतजार करना पड़ा।

वह कहती हैं ओम शांति ओम नहीं मिली तो हमने संजय दत्त की 'मुन्ना भाई एमबीबीएस', 'लगे रहो मुन्नाभाई' तथा 'शूटआउट एट लोखंडवाला' देखी।

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