Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

ध्यान-योग की महान आत्मा का अवसान

हमें फॉलो करें ध्यान-योग की महान आत्मा का अवसान
एम्सटर्डम (वार्ता) , बुधवार, 6 फ़रवरी 2008 (20:49 IST)
ध्यान और योग की भारतीय पारंपरिक विधा का पश्चिमी देशों को पाठ पढ़ाने वाले योग गुरु महर्षि महेश योगी का मंगलवार की रात हॉलैंड के एम्सटर्डम स्थित उनके आवास में निधन हो गया।

महर्षि महेश योगी का जन्म 12 जनवरी 1917 को जबलपुर में हुआ था। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से दर्शनशास्त्र में स्नातकोत्तर की उपाधि ली थी। वर्ष 1939 में वे स्वामी ब्रह्मानन्द सरस्वती के अनुयायी बन गए थे।

ध्यान और योग से मन को नियंत्रित करने की तकनीक ट्रांसेडेंटल मेडिटेशन (टीएम) के संस्थापक महर्षि योगी ने पश्चिमी देशों को योग एवं ध्यान की कला से अवगत कराया।

विश्वभर में प्रसिद्ध संगीत बैण्ड बीटल्स के गुरु रहे महर्षि योगी गत माह अपने संस्थान के अध्यक्ष पद से यह कहते हुए हट गए थे कि अब वह निशब्दता के क्षेत्र में काम करना चाहते हैं और तभी से उन्होंने मौन धारण कर लिया था।

ध्यान और योग के माध्यम से मनुष्य जीवन को संतुलित जीवन का पाठ पढ़ाने वाले महर्षि योगी के बचपन का नाम महेश प्रसाद वर्मा था।

महर्षि योगी ने 40 और 50 के दशक में हिमाचल में अपने गुरु से ध्यान और योग की शिक्षा ली। वर्ष 1941 में वह स्वामी ब्रह्मानन्द सरस्वती के सचिव बन गए, जिन्होंने उन्हें बाल ब्रह्माचार्य महेश नाम दिया। वे ब्रह्मानन्द सरस्वती के साथ वर्ष 1953 तक रहे। वर्ष 1953 में महर्षि योगी ने संतों की घाटी उत्तराकाशी की ओर रुख किया।

उन्होंने वर्ष 1958 में विश्व भ्रमण की शुरुआत की। अपनी विश्व यात्रा की शुरुआत अमेरिका से करने वाले महर्षि योगी के दर्शन का मूल आधार था- जीवन परम आनंद से भरपूर है और मनुष्य का जन्म इसका आनंद उठाने के लिए हुआ है। प्रत्येक व्यक्ति में ऊर्जा, ज्ञान और सामर्थ्य का अपार भंडार है तथा इसके सदुपयोग से वह जीवन को सुखद बना सकता है।

वर्ष 1959 में महर्षि योगी अनुभवातीत ध्यान (टीएम) की कला सीखाने हवाई गए और उसके बाद वे कैलिफोर्निया गए। दुनिया भर में सुख, शांति और समृद्धि का संदेश देने वाले महर्षि योगी ने शिक्षा के प्रसार के लिए विश्वव्यापी स्तर पर स्कूल और विश्वविद्यालय खोले।

इसके अलावा उन्होंने नेचुरल लॉ पार्टी की स्थापना कर इसके माध्यम से योग और अन्य वैदिक परंपराओं का प्रचार-प्रसार किया।

दुनिया भर में फैले लगभग 60 लाख अनुयायियों के माध्यम से उनकी संस्थाओं ने आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति और प्राकृतिक तरीके बनाई गई कॉस्मेटिक हर्बल दवाओं के प्रयोग को बढ़ावा दिया।

महर्षि योगी ने हिन्दू धार्मिक ग्रंथ 'भगवद् गीता' का अनुवाद किया और उसके कई अध्यायों की व्याख्या की। वेद और आध्यात्मिकता के माध्यम से संसार के नवनिर्माण की संकल्पना रखने वाले महर्षि योगी को वर्ष 1975 में प्रसिद्ध अमेरिकी मैगजीन 'टाइम' के मुख पृष्ठ पर भी स्थान मिला था।

वर्ष 1990 में हॉलैंड के व्लोड्राप गाँव में ही अपनी सभी संस्थाओं का मुख्यालय बनाकर वे यहीं स्थायी रूप से बस गए और संगठन से जुड़ी गतिविधियों का संचालन किया।

महर्षि महेश योगी का निधन
महर्षि महेश योगी- ‘अत्तयुत्‍म चेतना’ के गुरु

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi