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भारत और रूस के बीच कीमत पर बात अटकी

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रूसी विमान वाहक पोत गोर्शकोव सौदे पर गतिरोध खत्म होने की 'घोषणा' के बावजूद इसकी कीमत को लेकर अभी भी रहस्य बना हुआ है।

रूस से प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के साथ स्वदेश वापसी के दौरान विशेष विमान में विदेश सचिव निरुपमा राव ने पत्रकारों से कहा कि गोर्शकोव के बारे में दिल्ली में बातचीत चल रही है, इसलिए इस बारे में अभी कुछ नहीं बताया जा सकता। रूस इस पोत की तय कीमत से करीब-करीब दुगनी कीमत माँग रहा है। रूस जाने से पहले एक विश्वस्त सूत्र ने कहा था कि कीमत पर सहमति करीब-करीब बन चुकी है।

सुश्री राव ने कहा कि हम कीमत तय करने के करीब पहुँच गए हैं, लेकिन इसके बारे में कोई घोषणा करने से पहले हम प्रक्रियाओं पर गौर करना चाहेंगे। उन्होंने सोमवार कहा था कि दोनों देशों ने तकनीकी मामलों में वार्ता सफलतापूर्वक पूरी कर ली है।

इस मसले पर कई सालों से बातचीत चल रही है। गत नवंबर में रूस का 40 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल भारत के दौरे पर था जिसने गोर्शकोव की कीमत 2.2 अरब डॉलर करने पर बातचीत की। लेकिन रूस की यह माँग बढ़कर 2.9 अरब डॉलर हो गई है, जबकि करार में इसका वास्तविक मूल्य 97.40 करोड़ डॉलर ही था।

प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह ने मॉस्को में भारत-रूस सीईओ परिषद की बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि उद्योगपति भारत और रूस के व्यापारिक रिश्तों को नई ऊँचाइयों पर ले जाएँ। उन्होंने कहा कि भारत व रूस सामरिक भागीदार हैं लेकिन द्विपक्षीय व्यापार व निवेश सहयोग राजनीतिक रिश्तों के समान नहीं रहे हैं, इसे गति देने की जरूरत है।

कम नहीं होगी यह दोस्ती : भारत और रूस मानते हैं कि भावी क्षेत्रीय और विश्व चुनौतियों का प्रभावकारी ढंग से सामना करने के लिए जरूरी है कि दोनों देश सामरिक भागीदारी को और विस्तृत करते हुए इसे अगले स्तर तक ले जाएँ। दुनिया के दूसरे देशों के साथ अलग-अलग संबंध बढ़ाने से इस सामरिक भागीदारी को बढ़ाने के काम पर कोई भी असर नहीं पड़ेगा।

प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहनसिंह की रूस यात्रा की समाप्ति पर जारी संयुक्त घोषणा पत्र में यह संकल्प प्रकट किया गया है। भारत रूस को अपना ऐसा मित्र मानता है, जिसने संकट की हर घड़ी में साथ दिया है। सामरिक भागीदारी को आगे बढ़ाने के लिए दोनों देशों के बीच वार्षिक शिखर बैठक आयोजित की जाती है। संयुक्त घोषणा पत्र में समानता और न्याय के सिद्धांतों के आधार पर विश्व आर्थिक प्रशासन में सुधार लाने के लिए दोनों देशों ने प्रतिबद्धता व्यक्त की है।

घोषणा पत्र में रूस ने मुंबई हमलों के मामले में भारतीय रुख का मजबूती से पक्ष लिया है। दोनों देशों ने इन हमलों के योजनाकारों और संचालकों पर मुकदमा चलाने की आवश्यकता पर जोर दिया है, जबकि काबुल में भारतीय दूतावास पर हुए हमले की भर्त्सना की गई है।

विदेश सचिव निरूपमा राव ने प्रधानमंत्री के विशेष विमान में पत्रकारों से चर्चा में कहा कि प्रधानमंत्री ने रूसी नेताओं के साथ पाकिस्तान, अफगानिस्तान और ईरान के अलावा चीन की भी चर्चा की तथा हाल ही में चीन द्वारा नियंत्रण रेखा का अतिक्रमण करने की घटनाओं से उन्हें अवगत कराया। (विशेष विमान से मधुसूदन आनन्द)

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