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मेदवेदेव ने की विवादित द्वीप की यात्रा

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टोक्यो , सोमवार, 1 नवंबर 2010 (16:06 IST)
रूसी राष्ट्रपति दमित्री मेदवेदेव ने प्रशांत महासागर स्थित एक विवादित द्वीप का दौरा किया जिस पर रूस और जापान, दोनों का दावा है। इसके बाद मेदवेदेव की यात्रा का जापान में तुरंत विरोध शुरू हो गया।

जापान का दक्षिण में स्थित द्वीपों को लेकर चीन के साथ भी विवाद है। जापान के विदेश मंत्रालय ने कहा कि मेदवेदेव ने देश के उत्तरी तट के नजदीक स्थित कुनाशिरी द्वीप का दौरा किया है।

रूस में इस द्वीप को कुनाशिर कहते हैं। यह चार द्वीप समूह का एक हिस्सा है, जिस पर दोनों ही देशों का दावा है। जापान इसे अपना उत्तरी क्षेत्र और रूस दक्षिणी कुरिल क्षेत्र कहता है। मेदवेदेव ऐसे पहले रूसी राष्ट्रपति हैं, जिन्होंने इस द्वीप का दौरा किया है।

मेदवेदेव के यहाँ पहुँचने के तत्काल बाद जापानी प्रधानमंत्री नाओतो कान ने संसद में कहा कि जापान अपने इस रुख पर बरकरार है कि चार उत्तरी द्वीपसमूह जापानी क्षेत्र में आते हैं तो ऐसे में राष्ट्रपति की यह यात्रा बहुत खेदजनक है।

रूस के नियंत्रण वाले द्वीपों की श्रृंखला का एक हिस्सा कुनाशिरी द्वीप चारों तरफ से ऐसे समुद्री क्षेत्र से घिरा है, जहाँ काफी ज्यादा मछलियाँ पाई जाती हैं। माना जाता है कि इस द्वीप के आसपास तेल तथा प्राकृतिक गैस के भंडार और सोने तथा चाँदी की खदानें हैं।

कुनाशिरी द्वीप पर द्वितीय विश्व युद्ध के समय से ही रूस का नियंत्रण है। यह द्वीप उपेक्षा का शिकार रहा है और सोवियत संघ के विघटन के बाद यहाँ की आबादी भी घट गई है। मेदवेदेव ने यह दौरा ऐसे समय किया है, जब जापान और चीन के बीच पूर्वी चीनी समुद्र में द्वीपों के एक समूह को लेकर विवाद चल रहा है। (भाषा)

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