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विवेकानंद ने विश्व को दिया था सांस्कृतिक संदेश

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शिकागो , सोमवार, 30 सितम्बर 2013 (22:49 IST)
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शिकागो। विश्व धर्म संसद में स्वामी विवेकानंद के ऐतिहासिक भाषण की 120वीं वषर्गांठ में शामिल होने के लिए यहां आए योगगुरु बाबा रामदेव ने कहा है कि 19वीं सदी के सुधारक ने विश्व को भारत का सांस्कृतिक संदेश दिया था

रामदेव ने कहा कि 120 साल पहले जब सितंबर 1893 में स्वामी विवेकानंद ने पूरे विश्व को भारत का सांस्कृतिक संदेश दिया था...। हम उस महान क्षण को और उन्हें याद करते हैं, क्योंकि हमें उनके सपनों के भारत का निर्माण करना है।

स्वामी विवेकानंद को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए रामदेव ने रविवार को सुबह लिमोंट में ग्रेटर शिकागो के हिन्दू मंदिर में उनकी प्रतिमा को पुष्पाहार पहनाया।

बाद में वे आर्ट इंस्टीट्यूट ऑफ शिकागो गए, जहां उन्होंने प्रार्थना और मंत्रोच्चार के बीच दीया जलाया और स्वामी विवेकानंद को याद किया। उन्होंने उसी फुलरटन हॉल से अपने विचार रखे, जहां से विवेकानंद ने 1893 में अपना भाषण दिया था।

उन्होंने स्वामी विवेकानंद को याद करते हुए कहा कि विवेकानंद का भाषण ‘अमेरिका के भाइयों और बहनों’ के संबोधन से शुरू हुआ था, जो भारतीय संस्कृति का संदेश है जिसमें पति, पत्नी, पिता बाद में आते हैं लेकिन भाई, बहन पहले आते हैं।

रामदेव ने कहा कि भाई और बहन के बीच महत्वपूर्ण संबंध होता है। हालांकि दुनिया राजनीतिक संघर्षों से गुजर रही है, अधिक आधुनिक हो रही है, स्वतंत्र और अधिक पूंजीवादी हो रही है और इसमें मानवता पीड़ा भोग रही है। इतनी अधिक असुरक्षा है कि आज पूरा विश्व भ्रष्टाचार से जूझ रहा है।

रामदेव ने कहा कि आईएमएफ, डब्ल्यूटीओ, यूएनओ का शासन अलोकतांत्रिक तरीके से चलाया जा रहा है। रामदेव ने विश्व धर्म संसद को बताया कि धर्मांतरण रोके जाने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि यदि हमने स्वामी विवेकानंद के संदेश को सुना होता तो 9/11 का आतंकवादी हमला नहीं हुआ होता। रामदेव बाद में न्यूजर्सी रवाना हो गए, जहां वह योग और धर्म उत्सव में शामिल होंगे और भारत रवाना होने से पूर्व अटलांटा जाएंगे। (भाषा)

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