हालात ने 'यू' टर्न ले लिया है। देश की तेजी से होती तरक्की और सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) के क्षेत्र में आए उछाल ने परदेस गए भारतीयों को वतन लौटने के लिए लालायित कर दिया है।
इंडस इंटरप्रेनर ग्रुप की रिपोर्ट पर यकीन करें तो अमेरिका की सिलिकॉन वैली से हाल ही के वर्षों में लगभग 60 हजार भारतीय अपने देश वापस आ गए हैं। भारतीयों के वापस लौटने के इस रुख से सिलिकॉन वैली ही सबसे ज्यादा प्रभावित हुई है।
रिपोर्ट के अनुसार सन् 2003 में 15 से 20 हजार भारतीयों ने सिलिकॉन वैली छोड़ देश का रुख किया। ग्रुप के चार्टर मेंबर विश मिश्र ने सैनजोंस मर्करी न्यूज को बताया कि पिछले चार वर्ष में लगभग 40 हजार भारतीय वतन लौट चुके हैं।
निवेश का प्रवाह भी : मिश्र ने कहा कि भारत को निवेश पूँजी का प्रवाह भी बढ़ा है। विशेष रूप से सिलिकॉन वैली की वेंचर कैपिटल कंपनियाँ अधिक निवेश कर रही हैं।
अगस्त 2006 में समाप्त 12 माह की अवधि में वेंचर कैपिटल कंपनियों ने शुरुआती और अंतिम चरण की कंपनियों में 2 अरब डॉलर का निवेश किया।
भविष्य में छुपा है : अमेरिका में सूचना प्रौद्योगिकी कंपनियाँ कम लागत में अधिक कुशल लोगों को आकर्षित करती हैं और इसमें 35 लाख नौकरियाँ मौजूद हैं।
वेतन में ये कंपनियाँ 151 अरब डॉलर बाँटती हैं। सन् 2015 तक ये कंपनियाँ बाहर से काम (आउटसोर्स) कराने लगेंगी और भारत इसमें सबसे आगे रहेगा।
विशाल बाजार : इन कंपनियों को भारत विशाल बाजार के रूप में भी नजर आता है। अभी भारत की आधी आबादी 25 साल से कम उम्र की है। आने वाले वर्षों में 60 करोड़ लोग खर्च करने की उम्दा उम्र में होंगे और इससे खुदरा बिक्री में विस्फोट होगा।