किसी भी कार्य की सफलता तीन बातों पर निर्भर होती है- श्रद्धा, ज्ञान और क्रिया। जैन शास्त्रों में इन्हें सम्यक् दर्शन, सम्यक् ज्ञान और सम्यक् चारित्र कहते हैं।
1. सम्यक् दर्शन- सच्चे देवशास्त्र-गुरु पर श्रद्धा करना- सम्यक् दर्शन कहलाता है।
सम्यक् दृष्टि वाले मनुष्य पृथ्वी और परलोक के भय, रोक-भय, मरण-भय, चौरासी योनियों के भय, सांसारिक मान-सम्मान आदि के भय से मुक्त होते हैं।