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बि‍ना झि‍झक कहो, जो मन में हो

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प्‍यारे दोस्‍तों!

अगर कोई बात हमें अच्छी लगती है तो भी और अगर अच्छी नहीं लगती है तो भी अपनी बात कहने में कोई झिझक नहीं होना चाहिए। क्लास में टीचर कुछ समझाती है। और फिर पूछती है सभी की समझ में आ गया? तो सभी कहते हैं हाँ मैडम आ गया। पर अगर तुम्हें कुछ समझ नहीं आया है तो कहना चाहिए कि तुम्हें समझ नहीं आया।

अगर तुम अपनी बात साफ-साफ कहोगे तो हो सकता है टीचर दुबारा तुम्हें समझा दें और तुम्हारी मुश्किल आसान हो जाए। कोई बात मन में हो तो कह देना चाहिए। इस तरह अपनी बात कहने का तरीका आता है।

हाँ में हाँ मिलाना ठीक नहीं है तुम क्या समझे या तुम्हें क्या लगा, यह कहना चाहिए। अपनी बात कहते हुए डरने की कोई बात नहीं। जब तक तुम अपने मन की बात कहोगे नहीं तब तक उसका असर कैसे मालूम होगा।

हमारी कहानी में मुनिया अगर अपनी बात नहीं कहती तो क्या उसकी समस्या दूर होती? तो अपनी बात कहने से कभी डरना नहीं। देखो एक बार ऐसे ही हुआ कि एक राजा ने कहा कि जब वह पैदल चलता है तो उसके पैर गंदे हो जाते हैं और उनमें कंकड़-पत्थर चुभते हैं, कुछ प्रबंध करो। दरबार के लोगों ने तरह-तरह के सुझाव दिए। किसी ने कहा कि सारी सड़कों से धूल को साफ कर दो। किसी ने कहा कि राजा घर से बाहर ही न निकले और किसी ने कहा कि राजा सिर्फ गाड़ी में ही घूमे। तभी एक बच्चे ने कहा कि बहुत आसान है राजा को चमड़े का जूता पहना दो। राजा खुश हो गया।

तो दोस्तो, बच्चों के पास अपने जवाब और हल होते हैं। अगर कहने का तरीका आता हो तो बड़ी से बड़ी समस्या चुटकी बजाते हल हो सकती है।

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