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मुल्ला नसीरूद्दीन का किस्सा

तो उधार चुकाऊँ कैसे?

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मुल्ला नसीरूद्दीन ने एक आदमी से कुछ उधार लिया था। मुल्ला समय पर उधार चुका नहीं पाया और उस आदमी ने इसकी शिकायत बादशाह से कर दी। बादशाह ने मुल्ला को दरबार में बुलाया। मुल्ला बेफिक्री के साथ दरबार पहुँचा।

जैसे ही मुल्ला दरबार पहुँचा वह आदमी बोला- बादशाह सलामत, मुल्ला ने बहुत महीने पहले मुझसे 500 दीनार बतौर कर्ज लिए थे और अब तक नहीं लौटाए। मेरी आपसे दरख्वास्त है कि बिना किसी देरी के मुझे उधार वापस दिलाया जाए।

मुल्ला ने यह सुनने के बाद कहा - हुजूर, मैंने इनसे पैसे लिए थे मैं यह बात मानता हूं और मैं उधार चुकाने का इरादा भी रखता हूं। अगर जरूरत पड़ी तो मैं अपनी गाय और घोड़ा दोनों बेचकर भी इनका उधार चुकाऊंगा।

तभी वह व्यकि् बोला - यह झूठ कहता है हुजूर इसके पास न तो गाय है और न ही घोड़ा है। अरे इसके पास ना तो खाने को है और न ही एक फूटी कौड़ी है।

यह सुनते ही मुल्ला नसीरूद्दीन बोला - जहांपनाह, जब यह जानता है कि मेरी हालत इतनी खराब है तो मैं ऐसे में जल्दी इसका उधार कैसे चुका सकता हूं। जब मेरे पास खाने को ही नहीं है तो मैं उधार दूंगा कहां से।

जज ने यह सुना तो मामला रफा-दफा कर दिया। मुल्ला नसीरूद्दीन अपनी हाजिर जवाबी से एक बार फिर बच निकला।

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