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बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग में कैरियर संभावनाएं

जयंतीलाल भंडारी

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बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग (बीपीओ) एक नई व्यापार व्यवस्था है, जिसके तहत किसी संगठन के व्यापारिक उत्पादक कार्यों को किसी बाहरी विक्रेता को हस्तांतरित कर उससे पूरा कराया जाता है। इसमें वितरण चूंकि आईटी आधारित होता है इसलिए बीपीओ को सूचना प्रौद्योगिकी आधारित सेवाएं भी कहा जाता है। सरल भाषा में हम यह भी कह कहते हैं कि बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग का मतलब है कोई कार्य व्यापारिक संस्थान के परिसर के बाहर देश या विदेश में कहीं भी उपयोगी रूप से संपन्न कराना। ऐसा आईटी के बढ़ते प्रभाव के कारण संभव हो सका है।

दरअसल, पश्चिमी और यूरोपीय देशों में श्रम काफी महंगा है, जिससे किसी भी सेवा की लागत बढ़ जाती है, जबकि वही कार्य भारत जैसे देश में कराने पर यह बेहद सस्ता पड़ता है। 12वीं के बाद उपयुक्त तैयारी करके विद्यार्थी इस क्षेत्र में आ सकते हैं।

भारत बीपीओ के लिए दुनिया का सबसे प्रमुख केंद्र बन गया है। सस्ते श्रम एवं गुणवत्तापूर्ण कार्य के कारण भारत में बीपीओ उद्योग का सालाना कारोबार 2.34 अरब डॉलर का है। अगले पांच वर्षों मेंतकनीकी क्षेत्र, शिक्षा, चिकित्सा, बीमा, बैंकिंग तथा वित्तीय क्षेत्र आदि में आउटसोर्सिंग के पांच लाख से अधिक अवसर भारतीय युवाओं के लिए उपलब्ध होंगे। अच्छी अंग्रेजी, बेहतर उच्चारण, संवाद दक्षता, व्यापक कंप्यूटर साक्षरता और उच्च गुणवत्ता जैसी प्रमुख विशेषताओं से सुसज्जित होकर इस क्षेत्र में भारतीय युवा कैरियर की ऊंचाइयां प्राप्त कर सकते हैं।

सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सेवाओं को बाहरी एजेंसियों से कराने की प्रक्रिया कई वर्षों से अपनाई जा रही है, परंतु इंटरनेट और संचार प्रौद्योगिकी के उदय के साथ पिछले 10 से 15 वर्षों में इनके प्रचलन में बहुत तेजी आई है। बड़ी संख्या में विभिन्न उद्योगों से संबद्ध बड़ी कंपनियों ने बीपीओ के लाभों पर विचार किया और अपने अनुषंगी व्यापारिक उत्पादक कार्यों का कुछ भाग बाहरी एजेंसियों को सौंपना शुरू कर दिया। इससे बड़ी कंपनियों की कार्यक्षमता में सुधार आया और लागत में भारी कमी आई। इस नई व्यापारिक संकल्पना के प्रचलन ने दुनिया भर में अनेक विशेषज्ञतापूर्ण बीपीओ सेवा प्रदान करने वालों को जन्म दिया।

वर्तमान में भारत आईटी आउटसोर्सिंग का वैश्विक केंद्र बन गया है। इसका कारण यह है कि भारत में अत्यंत कुशल एवं प्रशिक्षित कर्मियों का समूह उपलब्ध है और यहां भली-भांति परिभाषित व्यापार प्रक्रियाओं को बहुत तेजी से अपनाया जा रहा है। अनुकूल माहौल बनाने में सरकार के सक्रिय सहयोग और ढांचागत सुधारों की बीपीओ उद्योग के विकास में उत्प्रेरक भूमिका रही है।

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बीपीओ के क्षेत्र में भारत की प्रगति के पीछे एक कारण यह भी है कि हमारे यहां संचार का मजबूत ढांचा कायम हो चुका है। दूरसंचार उद्योग के निजीकरण से नई कंपनियां अस्तित्व में आई हैं और दूरसंचार की दरों में महत्वपूर्ण गिरावट आई है।
उच्च कोटि की त्वरित सेवा, वर्ल्ड क्लास टेक्नोलॉजी, बड़ी संख्या में आईटी एक्सपर्ट और अंगे्रजी में पारंगत युवाओं के अलावा सस्ता श्रम ये ऐसे कारण हैं, जिनकी बदोलत भारत विगत डेढ़ दशक से पूरे विश्व में बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग यानी बीपीओ के क्षेत्र में अव्वल बना हुआ है। इस क्षेत्र में बीमा, बैंकिंग, फार्मास्युटिकल्स, दूरसंचार, ऑटोमोटिव और एयरलाइंस का वर्चस्व है।

बीमा एवं बैंकिंग ऐसे क्षेत्र हैं जो भारी मात्रा में बचत राशि हासिल करने में सिर्फ इसलिए कामयाब रहे हैं कि वे अपनी प्रक्रियाओं का बड़ा हिस्सा बाहरी एजेंसियों को सौंप सकते हैं। वे कॉल सेंटरों के जरिए दावे और ऋण प्रोसेस करने तथा ग्राहकों को सेवाएं प्रदान करने जैसे कार्य संचालित कर रहे हैं। बीपीओ और सेवा क्षेत्र में शीघ्र और अच्छी नौकरी पाने के लिए प्रशिक्षण की जरूरत होती है ताकि बीपीओ कंपनी में क्वालिटी वर्क किया जा सके।

जिस देश के लिए सर्विस प्रोवाइड करना है, वहां की भाषा और शैली में काम करना होता है इसलिए सही उच्चारण और कार्यशैली के लिए पर्याप्त ट्रेनिंग की जरूरत होती है। चूंकि भारत की परंपरागत शिक्षा पद्धति और सरकारी क्षेत्र में इन नए क्षेत्रों के बारे में कुछ पढ़ाया नहीं जाता और किसी तरह की ट्रेनिंग उपलब्ध नहीं है, इसलिए इस दिशा में निजी क्षेत्र द्वारा ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जा रही है।

इस तरह के प्रयास हीरो माइंडमाइन, अकिको कालनेट जैसी संस्थाओं द्वारा भी किए जा रहे हैं। इनके द्वारा दो माह से लेकर एक वर्ष तक के कोर्स चलाए जा रहे हैं । छात्रों का रुझान जैसा होता है, उसे उसी के अनुरूप ट्रेनिंग बारहवीं या ग्रेजुएशन के बाद दी जा सकती है। यदि स्टूडेंट अंडर ग्रेजुएट के दौरान इस तरह का कोर्स करते हैं तो यह उनके लिए बहुत फायदेमंद साबित हो सकता है। इसका कारण यह है कि डिग्री कोर्स के साथ-साथ उनकी ट्रेनिंग भी पूरी हो जाएगी और इसके तुरंत बाद वे नौकरी ज्वाइन कर सकते हैं। इस तरह उनका अतिरिक्त समय नष्ट नहीं होता है।

बीपीओ से संबंधित पाठ्यक्रम करने के उपरांत रोजगार के काफी चमकीले अवसर मौजूद हैं। आईबीएम जैसी बड़ी व मल्टीनेशनल कंपनियों में नौकरी की शुरुआत 20 हजार रुपए प्रतिमाह की सैलरी से होती है जबकि डोमेस्टिक कंपनियों में 8 से 10 हजार रुपए से शुरुआत हो सकती है। दक्षता और अनुभव बढ़ने के साथ सैलरी में भारी वृद्धि होती जाती है।

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