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अप्रत्यक्ष कर संग्रह में गिरावट

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नई दिल्ली , गुरुवार, 12 नवंबर 2009 (00:53 IST)
प्रोत्साहन पैकेज और आर्थिक नरमी ने सरकार खजाने को बुरी तरह प्रभावित किया है। चालू वित्त वर्ष के पहले सात महीने में अप्रत्यक्ष कर संग्रह 21 फीसद घटकर 1.26 लाख करोड़ रुपए रह गया जबकि यह पिछले साल की समान अवधि में 1.61 लाख करोड़ रुपए था।

अप्रत्यक्ष कर के तीनों हिस्सों, उत्पाद, सीमा शुल्क और सेवा कर संग्रह में गिरावट हुई है।

सीमा शुल्क सबसे अधिक 31.8 फीसद की गिरावट के साथ 45,412 करोड़ रुपए पर आ गया। आर्थिक नरमी के कारण सामान्य आयात में गिरावट और पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में नरमी का इसमें बड़ा हाथ है।

वित्त मंत्री के बयान में कहा गया कि उत्पाद शुल्क संग्रह भी 18.8 फीसद गिरकर 52,566 करोड़ रुपए पर पहुँच गया।

नरमी की सीमा का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में उल्लेखनीय योगदान करने वाले क्षेत्र का संग्रह 5.4 फीसद गिरकर 28.92 करोड़ रुपए हो गया।

विश्लेषकों का मानना है कि अप्रत्यक्ष कर संग्रह और आर्थिक नरमी दोनों ने इसमें भूमिका निभाई। प्रोत्साहन पैकेज के तहत उत्पाद शुल्क छह फीसद और सेवा कर में दो फीसद की कमी दर्ज की गई।

हालाँकि अप्रत्यक्ष कर संग्रह अक्तूबर में करीब 13 प्रतिशत गिरा जबकि अप्रैल से अक्टूबर के बीच के सात महीनों में इसमें औसतन 21 फीसद से ज्यादा की गिरावट दर्ज हुई।

अप्रत्यक्ष कर के सभी हिस्सों में अक्तूबर की गिरावट इससे पीछे के छह महीनों से कम रही ।

सीमा शुल्क संग्रह अक्तूबर में 18 फीसद गिरकर 7,505 करोड़ रुपए रह गया। जबकि उत्पाद शुल्क संग्रह आठ फीसद गिरकर 8,952 करोड़ रुपए रह गया। सेवा कर संग्रह में 11.6 फीसद की गिरावट हुई और यह 5,736 करोड़ रुपए रहा।

बयान कहा गया कि चालू वित्त वर्ष के पहले सात महीनों में कुल अप्रत्यक्ष कर संग्रह बजट अनुमान के मुकाबले 47.4 फीसद कम रहा।

प्रोत्साहन पैकेज का खजाने पर बहुत बुरा असर हो रहा है और इस बारे में चर्चा शुरू हो गई है इसे कब वापस लिया जाए।

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा था कि इसे अगले वित्त वर्ष से धीरे धीरे खत्म किया जाएगा जबकि वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने कहा था कि यह वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुधार होने तक जारी रहेगा। (भाषा)

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