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अमेरिकी अर्थव्यवस्था का बड़ा स्तंभ थीं जीएम

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न्यूयॉर्क (भाषा) , मंगलवार, 2 जून 2009 (12:22 IST)
कभी अमेरिकी अर्थव्यवस्था की गाड़ी का इंजन कहलाने वाली जनरल मोटर्स कंपनी ने 9/11 की घटना का झटका बर्दाश्त कर लिया था, लेकिन वैश्विक आर्थिक संकट के आगे कंपनी ने घुटने टेक दिए।

गंभीर वित्तीय संकट के कारण ऋणदाताओं का कर्ज चुकाने में असमर्थ हो चुकी इस कंपनी ने अंतत: अमेरिकी दिवालियापन कानून के तहत सोमवासंरक्षण की याचिका दायर कर दी।

वर्ष 1908 में स्थापित जनरल मोटर्स ने 75 वर्षों तक विश्व की सबसे बड़ी कार कंपनी के रूप में अपना दबदबा बनाए रखा। कंपनी ने 11 सितंबर 2001 को न्यूयॉर्क में वर्ल्ड ट्रेड सेन्टर पर स्तब्धकारी आतंकवादी हमलों के बाद कीप अमेरिका रोलिंग अभियान चलाया था।

कंपनी के इस अभियान से उसकी बिक्री बढ़ी थी और बाकी कंपनियों ने भी उसका अनुसरण किया। जब तक दिन अच्छे थे। कंपनी ने बाजार में नए-नए उदाहरण पेश किए। मसलन 2005 में जीएम ने सामान्य ग्राहकों को भी डिस्काउंट के वही प्रस्ताव दिए जो वे अपने कर्मचारियों को देती थी। नतीजतन उसका जमा संपूर्ण स्टॉक खाली हो गया।

लेकिन बाजार की मौजूदा चुनौतियाँ जीएम के लिए भारी पड़ीं। बढ़ते घाटे और घटती बिक्री से उबरने के लिए कंपनी ने तमाम तरीके अपनाए जिसमें कर्मचारियों की छँटनी से लेकर सरकार से मदद तक शामिल है।

अमेरिकी सरकार ने कंपनी को करीब 20 अरब डॉलर की वित्तीय सहायता भी दी, लेकिन यह सहायता सुरसा के मुख की तरह बढ़ती समस्याओं में खोकर रह गई। कंपनी ने सरकार से और सहायता की माँग की पर ओबामा प्रशासन ने अपने हाथ खड़े कर दिए, जिससे अंतत: कैडिलैक और शेवरले जैसे नामी ब्रांड की कार बनाने वाली इस कंपनी को दिवालियापन के लिए आवेदन करना पड़ा।

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