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कंपनी में घोटाले से भी मिलती बीमा सुरक्षा

हमें फॉलो करें कंपनी में घोटाले से भी मिलती बीमा सुरक्षा
नई दिल्ली , रविवार, 1 फ़रवरी 2009 (18:31 IST)
- अजय श्रीवास्तव
सत्यम कम्प्यूटर सर्विसेज में हुए हजारों करोड़ रुपए के घोटाले के बाद कंपनी के निवेशकों और शेयरधारकों को हुए नुकसान की काफी चर्चा है। ऐसे में यह सवाल स्वाभाविक तौर पर खड़ा होता है कि यदि कंपनी का कोई निदेशक या अधिकारी गड़बड़ी करता है और इससे किसी शेयरधारक को नुकसान होता है तो उसकी भरपाई कैसे होगी। तो इसका भी एक विकल्प है। यह है बीमा कंपनियों द्वारा मुहैया कराया जाने वाला डायरेक्टर्स एंड ऑफिसर्स लायबिलिटी कवर।

बाजार के जानकारों के अनुसार, सत्यम कम्प्यूटर का घोटाला उजागर होने के बाद तमाम कंपनियों ने इस बीमा कवर के बारे में पूछताछ शुरू की है और बहुत-सी कंपनियाँ इस कवर को लेने जा रही हैं। ऑनलाइन बीमा साइट ऑप्टिमा इंश्योरेंस ब्रोकर के सीईओ राहुल अग्रवाल के मुताबिक, डायरेक्टर्स एंड ऑफिसर्स लायबिलिटी कवर के तहत सम एश्योर्ड तो करोड़ों में होता है, लेकिन इसका प्रीमियम सालाना डेढ़-दो लाख रुपए तक पड़ता है। यदि कोई कंपनी यह बीमा कवर लेती है, तो उसके किसी अधिकारी या निदेशक द्वारा की गई अनियमितता की स्थिति में शेयरधारकों को हुए नुकसान की भरपाई बीमा कंपनी द्वारा की जाती है।

अग्रवाल के मुताबिक, यह बीमा कवर बहुत हद तक कंपनी की प्रतिष्ठा और उसके टर्नओवर पर निर्भर करता है। उन्होंने बताया कि इस तरह के बीमा कवर में एचडीएफसी, टाटा एआईजी और आईसीआईसीआई लोम्बार्ड जैसी विशेषज्ञ हैं। उनका कहना था कि सत्यम में घोटाला उजागर होने के बाद इस कवर के बारे में पूछताछ में बहुत इजाफा हुआ है और कई कंपनियों ने इस कवर को लेने में रुचि दिखाई है।

क्यों है यह कवर जरूरी : बाजार नियामक सेबी के दिशा-निर्देशों के अनुसार किसी भी कंपनी के निदेशक मंडल में कुछ सदस्य बाहरी होने चाहिए। इन स्वतंत्र निदेशकों की नियुक्ति का उद्देश्य यह निश्चित करना है कि कंपनी द्वारा लिए जाने वाले किसी भी फैसले में शेयरधारकों के हितों की अनदेखी न हो सके। लेकिन जानकारों का कहना है कि आमतौर पर स्वतंत्र निदेशक कंपनी के कामकाज में पूरा समय नहीं दे पाते।

वे सिर्फ बोर्ड की बैठक में मौजूद रहते हैं और उन्हें प्रबंधन द्वारा जो जानकारी दी जाती है, उसी पर भरोसा करना पड़ता है। ऐसे में स्वतंत्र निदेशक कई बार ऐसे फैसलों पर मुहर लगा देते हैं, जो शेयरधारकों के हित में नहीं है। इसीलिए आज के दौर में डायरेक्टर्स एंड ऑफिसर्स लायबिलिटी कवर की आवश्यकता आन पड़ी है।

अभी तक ऐसा होता आया है कि यदि किसी कंपनी में कोई घोटाला होता है, और कोई निवेशक खुद को हुए नुकसान की भरपाई के लिए अदालत चला जाता है तो ऐसे में कंपनी के जिस निदेशक की तरफ से चूक पकड़ी जाती है, उसे अपनी जेब से निवेशक के घाटे की भरपाई करने के अलावा उसके अदालती खर्च और उसे हुए मानसिक तनाव का मुआवजा भरना पड़ता है।

ऐसे मामलों में निदेशक की संपत्ति से निवेशकों के नुकसान की भरपाई की जाती है। यही नहीं, यदि मुआवजे की राशि ज्यादा बड़ी है और निदेशक की संपत्ति से उसकी भरपाई नहीं हो पाती है, तो उस निदेशक के परिजनों की संपत्ति को भी अटैच करने का आदेश दिया जाता है।

ऐसे में यदि किसी कंपनी ने डायरेक्टर्स एंड ऑफिसर्स लायबिलिटी कवर लिया हुआ है तो निवेशक को हुए नुकसान की भरपाई बीमा कंपनी द्वारा की जाएगी। बाजार के जानकारों का कहना है कि यह कवर इसलिए भी जरूरी है कि कई बार पेचीदा स्थिति में गलत फैसले हो जाते हैं। इस तरह के मामलों में मुआवजे की राशि भारी-भरकम होती है। साथ ही कानूनी कार्रवाई की प्रक्रिया भी लंबी और खर्चीली होती है।

क्या है कंपनी के निदेशकों और अधिकारियों की भूमिका
* किसी भी कंपनी के निदेशक और अधिकारी के लिए कंपनी और शेयरधारकों के हित में काम करना जरूरी है। उनकी यह प्रमुख जिम्मेदारी है कि वे कंपनी में हितों के किसी भी तरह के टकराव को रोंके।

* निदेशक और अधिकारी द्वारा की गई किसी भी गड़बड़ी या अनियमितता की जिम्मेदारी कंपनी की होगी।

* करीब 30 ऐसे दायित्व हैं, जिन्हें पूरा करने की जिम्मेदारी कंपनी के निदेशकों और अधिकारियों की होती है। कंपनी कानून की धारा 5 और कॉर्पोरेट गवर्नेंस के क्लॉज 4 के तहत उन्हें अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाह करना होता है।

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