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जी-20 से दुनिया को बड़ी उम्मीदें

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लंदन (वार्ता) , गुरुवार, 2 अप्रैल 2009 (11:27 IST)
भारत समेत पूरी दुनिया ने मौजूदा वैश्विक आर्थिक संकट की चुनौतियों से निबटने के उपायों पर चर्चा के लिए बुलाई गई जी-20 बैठक से बड़ी उम्मीदें बाँधी हैं।

अमेरिका से शुरू हुई आर्थिक मंदी ने जिस व्यापक रूप से समूची दुनिया को अपनी चपेट में लिया है, वह बेहद अप्रत्याशित ही नहीं बल्कि बेहद खतरनाक भी है।

लिहाजा विश्व समुदाय को उम्मीद है कि दुनिया के बड़े देश मंदी से निबटने के लिए इस बैठक में कोई प्रभावी उपाय तलाशने में सफल होंगे।

दुनिया के विकासशील और अमीर देशों के इस शिखर सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह कर रहे हैं। उनके साथ योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेकसिंह अहलूवालिया, विदेश सचिव शिवशंकर मेनन और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एमके नारायणन समेत एक बड़ा शिष्टमंडल भी गया है।

शिखर सम्मेलन में भारत संरक्षणवाद के खिलाफ सख्त विरोध दर्ज कराने के साथ ही आर्थिक संसाधनों को विकासशील देशों की ओर भी प्रवाहित करने, अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों में सुधार, अंतरराष्ट्रीय वित्तीय व्यवस्था की निगरानी के लिए कड़े नियम तय करने और उसे ज्यादा पारदर्शी बनाने जैसे अहम मुद्दों पर जोर देगा।

वर्ष 1930 में आई महामंदी के बाद वैश्विक स्तर पर आए इस सबसे गंभीर आर्थिक संकट से निबटने के लिए 20 शिखर बैठक पहली बार किया जा रहा एक साझा प्रयास है।

एक बड़ी अर्थव्यवस्था और औद्योगिक रूप से विकसित देश के रूप में इस बैठक में भारत की मौजूदगी काफी दमदार होगी। इस विश्व मंच पर उसके नजरिए को पहले की अपेक्षा ज्यादा अहमियत दी जाएगी।

सूत्रों के मुताबिक पहले की अपेक्षा अब समय और हालात दोनों बदल चुके हैं। ऐसे में अमीर और विकसित देशों के लिए विकासशील देशों को नजरअंदाज करना आसान नहीं होगा।

विश्व व्यवस्था के विकास में इनका योगदान इतना प्रभावी बन चुका है कि जी-20 शिखर सम्मेलन में इनकी हर छोटी-बड़ी बात पर गौर किया जाएगा।

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