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नौकरी की चिंता में गुजरा जून

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मुंबई (भाषा) , मंगलवार, 14 जुलाई 2009 (17:01 IST)
भारतीय अर्थव्यवस्था पटरी पर लौटने लगी है, लेकिन रोजगार को लेकर उम्मीद और परिदृश्य में सुधार होता नजर नहीं आ रहा है।

बोस्टन एनालिटिक्स द्वारा जून में कराए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार 52 प्रतिशत भारतीयों का कहना था कि नौकरी के प्रति सुरक्षा घटी है। मई में यह बात कहने वाले लोगों की संख्या 48 फीसद थी।

बोस्टन एनालिटिक्स में मासिक उपभोक्ता विश्वास सर्वेक्षण के अनुसार हाल के महीनों में भारत का रोजगार बाजार मिश्रित संकेत दे रहा है। पिछले महीने नौकरी की सुरक्षा को लेकर धारणा में गिरावट आई है।

सर्वेक्षण के अनुसार जून में 52 प्रतिशत लोगों ने कहा कि नौकरी की सुरक्षा को लेकर उनकी चिंता बढ़ी है, जबकि मई में यह बात कहने वालों की संख्या 48 फीसद थी। आर्थिक मंदी के कारण निर्यात आधारित रत्न, आभूषण, कपड़ा और चमड़ा आदि क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर छँटनियों का दौर चला है।

सर्वेक्षण में कहा गया है कि भारत की जीडीपी दर को नौ प्रतिशत तक ले जाने में योगदान देने वाले आईटी, निर्माण, विमानन, वित्तीय सेवा और रीयल एस्टेट क्षेत्रों में भी नौकरियों की संख्या में कटौती हुई है।

रोजगार बाजार में उम्मीद के मोर्चे पर 22 फीसद लोगों ने कहा कि अगले 12 माह के दौरान बेरोजगारी घटेगी, जबकि मई में यह बात कहने वाले लोगों की संख्या 19 फीसद थी।

हालाँकि कंपनियाँ कारोबारी माहौल को लेकर आश्वस्त हैं और उन्हें उम्मीद है कि घरेलू माँग में इजाफा होगा। सर्वेक्षण में कहा गया है कि एफएमसीजी, खाद्य एवं बेवरेज, बैंकिंग, खुदरा, ऊर्जा, बुनियादी ढाँचा और फार्मा क्षेत्र में नियुक्ति संबंधी गतिविधियाँ बढ़ी हैं।

सर्वेक्षण में शामिल करीब 24 प्रतिशत लोगों का कहना था कि जून में बेरोजगारी घटी है, जबकि मई में यह बात कहने वाले लोगों की संख्या 21 फीसद थी।

बोस्टन एनालिटिक्स के सर्वेक्षण में दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई सहित 15 शहरों के 10000 लोगों को शामिल किया गया।

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