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प्याज निर्यात पर प्रतिबंध लगा सकती है सरकार

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नई दिल्ली , रविवार, 21 जुलाई 2013 (13:02 IST)
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नई दिल्ली। प्याज की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि से खाद्य मुद्रास्फीति बढ़ने की आशंका को देखते हुए सरकार इसकी घरेलू आपूर्ति बढ़ाने के साथ निर्यात पर प्रतिबंध लगा सकती है।

एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि हम प्याज कीमतों पर करीबी निगाह रखे हैं। हम कीमतों को नियंत्रित करने के लिए निर्यात सहित विभिन्न विकल्पों के बारे में सोच रहे हैं।

राजनीतिक रूप से संवेदनशील माने जाने वाले प्याज का थोक और खुदरा दाम अधिकांश बाजारों में पिछले कुछ सप्ताह में तेजी से बढ़ा है। इसका कारण महाराष्ट्र जैसे उत्पादक राज्यों में भारी बरसात के बाद आपूर्ति संबंधी दिक्कतें बताई गई हैं।

दिल्ली में प्याज का खुदरा मूल्य 30-40 रुपए प्रति किग्रा है जबकि एशिया में प्याज की सबसे बड़ी मंडी महाराष्ट्र के लासालगांव में थोक मूल्य बढ़कर 25 रुपए प्रति किग्रा हो गया है।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार भारत ने चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 776.47 करोड़ रुपए मूल्य के 5,11,616 टन प्याज का निर्यात किया गया है, जो पूर्व वर्ष की समान अवधि में 5,17,274 टन रहा था।

विशेषज्ञों का कहना है कि प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगाए जाने की संभावना है, क्योंकि सरकार के पास निर्यात को रोकने का कोई और विकल्प नहीं है। इससे पूर्व वह कीमत वृद्धि की स्थिति में न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) को बढ़ाया करती थी।

हालांकि एमईपी को पिछले वर्ष से समाप्त कर दिया गया है। हालांकि इसके साथ ही विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे समय जबकि सरकार चालू खाते के घाटे को कम करने के लिए निर्यात बढ़ाने का प्रयास कर रही है, प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगाना एक मुश्किल फैसला होगा।

भारत आमतौर पर हर साल अपने कुल उत्पादन के 10 प्रतिशत भाग का निर्यात करता है। इसमें से ज्यादातर निर्यात बांग्लादेश, मलेशिया और सिंगापुर को किया जाता है। मौजूदा समय में प्याज की उत्तरी किस्म की ताजा आवक समाप्त हो गई है और मांग को गोदामों में रखे पुराने स्टॉक से पूरा किया जा रहा है।

नासिक स्थित राष्ट्रीय बागवानी शोध और विकास फाउंडेशन (एनएचआरडीएफ) के एक अधिकारी ने कहा कि अगले सप्ताह तक प्याज की कीमतों पर दबाव रहने की उम्मीद है, क्योंकि महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक और राजस्थान से नए फसल की आवक बाजार में अक्टूबर के बाद शुरू होने की उम्मीद है।

उन्होंने कहा कि हालांकि कुल उत्पादन इस वर्ष सामान्य यानी करीब 1.5 से 1.6 करोड़ टन होने की उम्मीद है लेकिन तमिलनाडु जैसे कुछ राज्यों में कम फसल के कारण महाराष्ट्र पर दबाव पैदा किया है, जो देश में विभिन्न राज्यों को प्याज का प्रमुख आपूर्तिकर्ता राज्य है। (भाषा)

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