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मुद्रास्फीति 14 माह के उच्च स्तर पर

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महँगाई को रोकने के सरकार के सभी उपायों को ठेंगा दिखाते हुए 15 मार्च को समाप्त हुए सप्ताह में मुद्रास्फीति 0.76 प्रतिशत की जोरदार बढ़ोतरी के साथ 14 माह के उच्च स्तर 6.68 प्रतिशत पर पहुँच गई।

सरकार की तरफ से शुक्रवार को जारी आँकड़ों के मुताबिक आठ मार्च को समाप्त हुए सप्ताह में मुद्रास्फीति 5.92 प्रतिशत और पिछले साल आलोच्य अवधि में 6.56 प्रतिशत थी।

मुद्रास्फीति का वर्तमान स्तर पिछले साल 27 जनवरी के 6.69 प्रतिशत के बाद का सर्वाधिक है। पिछले साल 27 जनवरी को मुद्रास्फीति का यह स्तर इससे पहले के दो साल का सर्वाधिक था।

सरकार ने महँगाई को रोकने के उपायों के तहत पिछले दो साल के दौरान एक-एक करके कई कदम उठाए हैं, किंतु इन उपायों के बावजूद मुद्रास्फीति की रफ्तार कमोबेश जारी रही।

हाल ही में सरकार ने खाद्य तेलों की कीमतों को काबू में करने के लिए इसके निर्यात पर रोक लगा दी थी। इसके बाद पाम ऑइल, रैपसीड और सूरजमुखी तेल समेत कई अन्य प्रकार के खाद्य तेलों के आयात पर शुल्क में भारी कमी किए जाने की आशा थी।

सरकार का लक्ष्य चालू वित्तवर्ष की समाप्ति पर महँगाई की दर को पाँच प्रतिशत के भीतर रखने का है, किंतु विश्लेषकों का मानना है कि वर्तमान स्थिति को देखते हुए अब इसे लक्ष्य के भीतर रख पाना बहुत असंभव लग रहा है।

आलोच्य सप्ताह के दौरान फल, सब्जियों, मसूर, जौ, कच्ची रबर, सरसों, नाफ्था, सरसों तेल, आटा, गुड़, खांडसारी, सूजी, मैदा आदि वस्तुओं के महँगा होने से मुद्रास्फीति ने लंबी छलाँग लगाई।

पिछले साल अक्टूबर के अंत में मुद्रास्फीति की दर तीन प्रतिशत से नीचे आ गई थी और इससे तुलना की जाए तो यह पिछले साढ़े पाँच माह में दोगुनी से अधिक हो गई है।

विश्लेषक महँगाई की दर में अचानक इतनी बढ़ोतरी को खतरे का संकेत मान रहे हैं। विश्लेषकों का कहना है कि लोहे और स्टील के दामों में हाल में आए भारी उछाल से आने वाले सप्ताह में मुद्रास्फीति पर और दबाव बढ़ने की आशंका है।

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