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शिवराज ने माँगा प्रधानमंत्री से विशेष पैकेज

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भोपाल , शनिवार, 10 जुलाई 2010 (20:20 IST)
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश के महाकौशल क्षेत्र के लिए प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह से 19303 करोड़ रुपए का विशेष पैकेज स्वीकृत करने का आग्रह किया है।

चौहान ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में 11वीं योजना की शेष अवधि के दौरान अतिरिक्त नियोजन के रूप में विशेष पैकेज देने का आग्रह किया है, ताकि महाकौशल क्षेत्र भी राज्य के अन्य क्षेत्रों एवं देश की बराबरी कर सके।

उन्होंने कहा है कि इस क्षेत्र में आठ जिले जबलपुर, कटनी, मंडला, डिंडोरी, सिवनी, बालाघाट, छिंदवाड़ा और नरसिंहपुर आते हैं, जिनमें से डिंडोरी, सिवनी, मंडला, बालाघाट जनजातीय बहुल जिले हैं। डिंडोरी में 64.48 प्रतिशत, मंडला में 57.22 प्रतिशत, सिवनी में 36.78 प्रतिशत और बालाघाट में 34.68 प्रतिशत जनजातीय जनसंख्या रहती है। जबलपुर को छोड़कर इन जिलों में शहरी जनसंख्या राज्य की औसत जनसंख्या से नीचे है। यहाँ संसाधनों की कमी और सिंचाई सुविधाओं की कमी के कारण क्षेत्र के लोग अन्यंत कठिनाई का सामना करते हैं।

मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री से इस पत्र में कहा है कि इन जिलों में ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी बहुत ज्यादा है जो 2004-05 के आँकलन के अनुसार राज्य के औसत 53.65 प्रतिशत की तुलना में 45.41 से 75.97 प्रतिशत है। इस क्षेत्र में कृषि उत्पादकता भी बहुत कम है। बालाघाट, कटनी और मंडला जिले में किसानों की भूमि राज्य की औसत भूमि स्वामित्व 2.22 हेक्टेयर से भी बहुत कम है जबकि अन्य चार जिलों में भूमि धारण राज्य के औसत के करीब है।

उन्होंने कहा कि बालाघाट, डिंडोरी एवं मंडला में प्रति किसान कुल बुआई क्षेत्र भी कम है जो 0.92 हेक्टेयर से 1.07 हेक्टेयर के बीच है। सुनिश्चित सिंचाई सुविधाओं की कमी कुल सिंचित क्षेत्र के अनुपात से कुल बुआई क्षेत्र से स्पष्ट है जो कि मंडला और डिंडोरी के प्रकरण में राज्य के औसत का एक चौथाई से भी कम है।

चौहान ने कहा कि नरसिंहपुर, बालाघाट और जबलपुर को छोड़कर अन्य पाँच जिलों में कुल सिंचित क्षेत्र और कुल बुआई क्षेत्र का अनुपात राज्य के औसत से कम है। यह संकेतक जिसमें अधोसंरचना की स्थिति भी शामिल है यह दर्शाते हैं कि सम्पूर्ण विकास को देखते हुए महाकौशल क्षेत्र राज्य और देश में काफी पीछे हैं। इस असंतुलन को दूर करने की आवश्यकता है जिससे 11वीं योजना की रणनीति में उल्लेखित समग्र विकास के लक्ष्य को पूरा किया जा सके।

मुख्यमंत्री ने कहा कि महाकौशल क्षेत्र को राज्य के अन्य जिलों की बराबरी पर लाने के लिए विशेष रूप से कृषि, सिंचाई सुविधाएँ, अधोसंचना, ग्रामीण गरीब लोगों के लिए आजीविका के अवसर निर्मित करने के लिए विशेष प्रयास करना होंगे। छत्तीसगढ़ की सीमा से लगे जिलों विशेष रूप से बालाघाट, मंडला, डिंडोरी पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है ताकि अधोसंचना विकास और रोजगार निर्माण गतिविधियों से नक्सलवाद से निपटने में मदद मिल सके। (भाषा)

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