Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

सोमवार को संसद में पेश होगा डीटीसी विधेयक

हमें फॉलो करें सोमवार को संसद में पेश होगा डीटीसी विधेयक
नई दिल्ली , रविवार, 29 अगस्त 2010 (15:44 IST)
सरकार सोमवार को बहुप्रतीक्षित प्रत्यक्ष कर संहिता विधेयक संसद में पेश करेगी जिसके लागू होने से व्यक्तिओं और कंपनियों को आयकर में कुछ राहत मिलने की उम्मीद है।

प्रत्यक्ष कर संहिता विधेय के अंतिम मसौदे में हालाँकि उतनी राहत नहीं दी गई जितना की सार्वजनिक चर्चा के लिए जारी मसौदे इसमें उतनी छूट नहीं मिलेगी जितनी मसौदे में पूर्व में प्रस्तावित थी।

सरकार को एक अप्रैल 2011 से डीटीसी के लागू होने की उम्मीद है जो पुराने आयकर कानून का स्थान लेगा।

वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने कहा है कि वह बिल को सदन के पटल पर रखते समय निजी वैयक्तिक आयकर स्लैब की घोषणा करेंगे। उन्होंने विधेयक को संसद में पेश किए जाने से पहले इस बारे में विस्तार से कुछ भी बताने से मना कर दिया।

उन्होंने केवल इतना ही कहा कि आयकर में छूट की मौजूदा मूल सीमा 1.6 लाख को बढ़ाकर दो लाख रुपए करने का प्रस्ताव है।

हालाँकि सूत्रों ने कहा कि मंत्रिमंडल द्वारा मंजूर विधेयक के तहत 2.0 से 5.0 लाख रुपए की आय पर कर की दर 10 फीसद, 5 से 10 लाख रुपए पर 20 फीसद और 10 लाख से उपर की आय पर 30 फीसद की दर से आयकर वसूले जाने का प्रस्ताव है।

फिलहाल, 1.6 लाख रुपए से 5. 0 लाख रुपये तक की आय पर 10 फीसद, 5. 0 से 8. 0 लाख रुपये की आय पर 20 फीसद तथा 8. 0 लाख से अधिक की आय पर 30 फीसद की दर से कर लगाने का प्रस्ताव है।

टीटीसी विधेयक में प्रस्तावित ‘कर स्लैब’ डीटीसी के मूल मसौदे की तुलना में काफी कम कर दिए गए हैं। मूल प्रस्ताव में 10 लाख रुपये की आय पर 10 फीसद, 10 से 25 लाख रुपये की आय पर 20 फीसद था 30 लाख रुपये की आय पर 30 फीसद कर का प्रस्ताव था। डीटीसी विधयेक में कंपनी कर को 30 फीसद के स्तर पर बनाये रखने का भी प्रस्ताव किया गया है लेकिन इस पर कोई अधिभार या उपकर नहीं लगेगा।

कर विशेषज्ञों का कहना है कि प्रस्ताव से उद्योग जगत को राहत मिलेगी और कर को वैश्विक मानकों के अनुरूप लाया जा सकेगा। हालाँकि उद्योग जगत कंपनी कर को घटाकर 25 फीसद के स्तर पर लाए जाने की माँग कर रहा था।

सरकार ने संपत्ति की बजाए कंपनियों के बही खाते में दिखाए गए मुनाफे पर न्यूनतम वैकल्पिक कर लगाने के उद्योग जगत की मांग को भी मान लिया है। हालाँकि, सरकार ने मैट को मौजूदा 18 फीसद से बढ़ाकर 20 फीसद कर दिया है लेकिन इसका खास असर नहीं होना चाहिए क्योंकि अधिभार और उपकरण के साथ यह 19.33 फीसद बैठता है। मैट उन कंपनियों पर लगाया जाता है जो कर विभिन्न छूटों के कारण कर दायरे में नहीं आते।

सूत्रों के अनुसार इस बारे में संसद को फैसला करना है कि डीटीसी धन विधेयक होगा या साधारण विधेयक। अगर यह धन विधयेक होता है तो सरकार को इसे केवल लोकसभा में पास कराने की जरूरत होगी। (भाषा)

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi