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820 लाख टन गेहूँ पैदा होने की उम्मीद

देश की खाद्य जरूरत के लिए पर्याप्त भंडार-शरद पवार

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नई दिल्ली , शुक्रवार, 4 दिसंबर 2009 (15:19 IST)
खराब मानसून के बावजूद इस साल गेहूँ का उत्पादन 820 लाख टन होने की उम्मीद है, लेकिन धान का निर्धारित लक्ष्य हासिल कर पाना मुश्किल होगा।

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कृषि मंत्री शरद पवार ने आज राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान बताया कि इस साल उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश जैसे राज्यों में अधिक गेहूँ उत्पादन होने की खबर है। पिछले साल गेहूँ का 805 लाख टन उत्पादन हुआ था, जो अब तक का सर्वाधिक उत्पादन था। अन्नाद्रमुक के डॉ. के. मलयस्वामी के पूरक प्रश्न के उत्तर में पवार ने कहइस साल हम पिछले साल के रिकॉर्ड उत्पादन को पीछे छोड़ देंगे।

उन्होंने बताया कि सरकार को इस साल गेहूँ का 820 लाख टन उत्पादन होने की उम्मीद है। हाँ, इस साल 56 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में धान की बुवाई नहीं हो पाने के कारण चावल का उत्पादन प्रभावित हो सकता है।

उन्होंने कहा-हम इस साल लक्ष्य हासिल नहीं कर सकेंगे। पिछले साल दालों का उत्पादन कम हुआ था, लेकिन इस साल स्थिति में कुछ सुधार होने की संभावना है।

312 जिलसूखाग्रस्घोषित : पवार ने बताया कि 26 राज्यों के 312 जिले सूखाग्रस्त घोषित किए गए हैं। कर्नाटक और आंध्रप्रदेश जैसे राज्यों में पिछले साल मानसून के अंतिम चरण में भारी बारिश होने और सूखे के कारण खरीफ की फसल प्रभावित हुई है।

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कृषि मंत्री ने वर्ष 2011 तक गेहूँ, चावल और दालों का उत्पादन 200 लाख टन तक बढ़ाने का लक्ष्य हासिल करने का विश्वास जताया। उन्होंने कहा पिछले मौसम में गेहूँ और चावल के अधिक उत्पादन और इसके फलस्वरूप हुए पर्याप्त भंडारण के चलते देश में फिलहाल खाद्य सुरक्षा की स्थिति नियंत्रण में है।

खाद्सुरक्षविधेयराबनाएँगे : प्रस्तावित खाद्य सुरक्षा विधेयक के बारे में पवार ने कहा कि इसका प्रारूप प्रतिक्रिया के लिए राज्यों के पास भेजा जा चुका है। इसे संसद में पेश करने से पहले इस पर आम सहमति बनाने के लिए जल्द ही मुख्यमंत्रियों की एक बैठक बुलाई जाएगी।

देनहीरहनदेंगभूखा : उन्होंने कहा हम खाद्य सुरक्षा विधेयक लाने की प्रतिबद्धता से पीछे नहीं हट सकते। पवार ने बतायकि खरीफ के मौसम में 13 राज्यों में सूखा पड़ने और कुछ राज्यों में इसके बाद बाढ़ आने के कारण अन्न उत्पादन कम हो गया, लेकिन देमें जरूरत पूरी करने के लिए गेहूँ और चावल का पर्याप्भंडार है।

उन्होंने भाजपा के एसएस अहलूवालिया के पूरक प्रश्न के उत्तर में बताया कि राष्ट्रीय विकापरिषद ने वर्ष 2007 में गेहूँ, चावल और दालों का उत्पादन वर्ष 2011 तक बढ़ाकर 200 लाख टकरने का लक्ष्य तय किया था। इसके लिए 5000 करोड़ रुपए मुहैया कराए गए।

पवार के अनुसार इस राशि में से पिछले दो वर्ष में 2,600 करोड़ रुपए राज्यों को जारी कर दिए गहैं और लक्ष्य हासिल करने में दिक्कत नहीं होगी।

उन्होंने बताया कि खाद्य सुरक्षा पर सूखा और बाढ़ का असर होने की आशंका के मद्देनजर सरकार ने समय रहते कई कारगर उपाय किए हैं, ताकि खरीफ के मौसम में खाद्यान्न उत्पादन का नुकसान कम से कम हो तथा रबी के मौसम में अधिकतम उत्पादन हो। इसके अलावा घरेलू बाजार में अन्न की पर्याप्त उपलब्धता हो और गरीबों की अन्न संबंधी जरूरत पूरी की जा सके।

उन्होंने मार्क्‍सवादी प्रशांत चटर्जी के पूरक प्रश्न के जवाब में कहा कि वर्ष 2002 के बाद से गरीबों कदो रुपए किलो गेहूँ और तीन रुपए किलो चावल देने की नीति यथावत है, जिसकी वजह से सब्सिडी की राशि तीन गुना वृद्धि के बाद 60,000 करोड़ रुपए हो गई। (भाषा)

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