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पाँच साल पुरानी सिफारिश पर हड़कंप

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-धनंजय
नई दिल्ली। मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद) ने इंदौर के एमजीएम मेडिकल कॉलेज सहित मध्यप्रदेश के 5 सरकारी मेडिकल कॉलेजों की मान्यता रद्द करने की कोई ताजा सिफारिश नहीं की है। लोकसभा में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद के जिस जवाब से इन कॉलेजों में ह़ड़कंप मचा है, वह एमसीआई द्वारा करीब 5 साल पहले की गई सिफारिश पर आधारित है।

एमसीआई के हाल ही में निर्वाचित अध्यक्ष केतन देसाई ने कहा कि काउंसिल ने इन कॉलेजों की मान्यता रद्द करने को लेकर कोई ताजा सिफारिश नहीं की है। जरूरी शर्तों को पूरा नहीं करने की वजह से इन कॉलेजों की मान्यता रद्द करने की सिफारिश काउंसिल ने करीब 5 साल पहले कर दी है।

उन्होंने कहा कि इन कॉलेजों में सुविधाओं की खासी कमी थी। उनमें बहुत सारी कमियाँ अभी भी हैं। मेडिकल काउंसिल ने बहुत पहले अपना काम कर दिया है। इन कॉलेजों की निरीक्षण की निकट भविष्य में कोई योजना भी नहीं है ।

सांसद योगी आदित्यनाथ ने प्रश्न पूछा था कि क्या मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ने उत्तरप्रदेश सहित देश के कुछ कॉलेजों की मान्यता रद्द करने की सिफारिश की है। अगर यह बात सही है तो मंत्री राज्यवार ब्यौरा दें और ऐसी सिफारिशों के कारण बताएँ। इस पर मंत्री का लिखित जवाब यूँ था- जिन कॉलेजों में एमसीआई के नियमों के अनुरूप शर्तें पूरी नहीं होतीं उसकी मान्यता रद्द करने की सिफारिश एमसीआई करती है। जिन मेडिकल कॉलेजों की मान्यता रद्द करने की सिफारिश की गई है, उनकी सूची दी गई है।

जवाब के अंत में सभी कॉलेजों के नामों की सूची दी गई है। मंत्री ने अपने जवाब में ऐसा कुछ नहीं कहा है कि सरकार इन कॉलेजों की मान्यता रद्ध करने वाली है। भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद ने करीब 5 साल पहले केंद्र सरकार से देश के जिन आठ मेडिकल कॉलेजों की मान्यता वापस लेने की सिफारिश की थी, उनमें पाँच मप्र के कॉलेज के नाम हैं।

इंदौर का एमजीएम मेडिकल कॉलेज, रीवा का श्याम शाह मेडिकल कॉलेज, भोपाल का गाँधी मेडिकल कॉलेज, ग्वालियर का गाजरा राजा मेडिकल कॉलेज और जबलपुर का नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज शामिल हैं।

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