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सीईटी की देरी का फायदा निजी कॉलेजों को!

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, शुक्रवार, 13 जुलाई 2012 (12:34 IST)
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देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर की संयुक्त प्रवेश प्रक्रिया (सीईटी) 26-27 जून को करवाई गई। हर साल यह परीक्षा अप्रैल-मई में ही हो जाती है। हर बार कॉलेजों में प्रवेश लेट होने पर भी विश्वविद्यालय सीईटी जल्दी करवा लेता है।

जबकि इस बार कॉलेजों में जल्दी प्रवेश होने के बाद भी विवि ने सीईटी को और लेट करवाया। इसका सीधा फायदा निजी कॉलेजों को मिला। सीईटी के आयोजन में हुई इस देरी पर भी शंका जाहिर की जा रही है।

हर साल ज्यादातर निजी कॉलेजों के प्रोफेशनल कोर्सों की आधी सीटें खाली रह जाती हैं। इस वर्ष सीईटी की देरी के कारण विद्यार्थियों को मजबूरीवश कॉलेजों में प्रवेश लेना पड़ा। अब स्थिति ऐसी होगी कि सीईटी की सीटों पर प्रवेश लेने के लिए विद्यार्थियों को कॉलेज में लिया अपना प्रवेश निरस्त करवाना होगा।

निजी कॉलेजों ने स्पष्ट नियम बना रखा है कि प्रवेश रद्द करवाने की स्थिति में वे फीस नहीं लौटाते। पहले तो सीईटी की देरी से कॉलेजों की सीटें भर गईं। प्रवेश निरस्त होने की स्थिति में भी कॉलेज फीस के रूप सैकड़ों विद्यार्थियों की जेब से निकलकर लाखों रुपए कॉलेज वालों की जेब में जाना तय हैं।

बीते वर्षों कॉलेजों में अगस्त तक कॉलेजों में प्रवेश का सिलसिला चलता था। ऐसे में विद्यार्थी सीईटी में अच्छी सीट नहीं मिलने पर कॉलेजों में प्रवेश ले लेते थे। इस वर्ष उच्च शिक्षा विभाग ने कॉलेजों में प्रवेश के लिए प्रक्रिया का ऐलान मार्च में ही कर दिया था।

विभाग ने प्रक्रिया को ऑनलाइन करवाने की घोषणा के साथ ही अप्रैल में पूरा शेड्‍यूल भी जारी कर दिया था। इस लिहाज से विवि को कॉलेजों में प्रवेश शुरू होने से पहले या मई में सीईटी करवा लेनी थी।

इसके बावजूद विश्वविद्यालय पूरे अप्रैल और मई सीईटी के आयोजन पर खामोशी ओढ़े रहा। ऐन वक्त पर मई अंत में सीईटी का ऐलान किया और जून जून के आखिर में सीईटी आयोजित करवाई गई। सीईटी के नतीजे और सीट आवंटन तक तो कॉलेजों में फीस जमा करने की तारिख भी गुजर गई है। (एजेंसियां)

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