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स्कूल से ज्यादा ट्‍यूशन पर भरोसा

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नई दिल्ली , शुक्रवार, 6 जुलाई 2012 (14:37 IST)
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शिक्षा के क्षेत्र में निजी कोचिंग और ट्यूशन पढ़ाने वाले टीचर्स देश में चांदी काट रहे हैं। स्कूलों में मिलने वाली शिक्षा के अलावा घर पर ट्‍यूशन देने का कारोबार देश में खूब फल-फूल रहा है।

लोग खुशी से अपनी गाढ़ी कमाई का बड़ा हिस्सा इन पर न्योछावर करने को तैयार रहते हैं। यह बात एशियाई विकास बैंक (एडीबी) के एक अध्ययन में सामने आई है।

अध्ययन के मुताबिक एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़ से भारत में निजी कोचिंग सेक्टर कारोबार को खूब हवा मिल रही है। भारत ही नहीं बांग्लादेश, पाकिस्तान और श्रीलंका समेत पूरे दक्षिण एशिया में यही हाल है।

भारत में कोचिंग सेक्टर का बाजार 2008 में करीब 6.4 अरब डॉलर का था। यह सालाना 15 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है। क्या गांव-क्या शहर स्थिति हर जगह एक जैसी दिखती है।

क्या कहता है अध्ययन :
एडीबी ने अपने अध्ययन में पाया है कि गांव में सरकारी स्कूलों के दूसरी कक्षा के करीब 16 प्रतिशत बच्चे घर पर भी ट्यूशन पढ़ते हैं। ऐसे ही चौथी कक्षा के 18 प्रतिशत बच्चों को मास्टरजी के यहां जाना पड़ता है। एडीबी का अध्ययन पांच राज्यों के तीस हजार बच्चों पर आधारित है। पश्चिम बंगाल में तो प्राथमिक स्कूलों के करीब 60 प्रतिशत बच्चे घर पर ट्यूशन पढ़ते हैं।

स्कूलों में उपस्थिति कम :
सर्वे से रोचक तथ्य भी सामने आया कि घर पर ट्यूशन पढ़ने वाले बच्चों की स्कूल में उपस्थिति उन बच्चों की तुलना में अपेक्षाकृत कम रहती है जो ट्यूशन नहीं पढ़ते। इसमें माता-पिता का भी बच्चों को पूरा सहयोग मिलता है।

घर के मास्टरजी पर भरोसा ज्यादा :
बच्चों के माता-पिता की उम्मीद स्कूलों से कम और घर पर पढ़ाने वाले मास्टरजी से ज्यादा रहती है। लोगों में यह अवधारणा है कि स्कूलों में बच्चों पर ध्यान नहीं दिया जाता। परिवारों की बढ़ती आय ने भी निजी कोचिंग और ट्यूशनों को बढ़ावा दिया है। (एजेंसियां)

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