Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

हार, दरार और अब मीडिया वार...

हमें फॉलो करें हार, दरार और अब मीडिया वार...
पर्थ , मंगलवार, 10 जनवरी 2012 (23:13 IST)
FILE
ऑस्ट्रेलियाई दौरे में टीम इंडिया मेलबोर्न और सिडनी टेस्ट बुरी तरह हारी और दोनों ही टेस्ट 4 दिन के भीतर ही खत्म हो गए। इन दोनों शर्मनाक हार के बाद टीम इंडिया में आ रही दरार की बातें उठी ही थी कि ऑस्ट्रेलियाई मीडिया ने वार कर डाला। इस मीडिया वार में कई गंभीर बातें सामने आई हैं जो कहीं न कहीं ये इशारा जरूर कर रही हैं कि अंदरुनी हालात ठीक नहीं हैं, जिसका असर खिलाड़ियों के प्रदर्शन पर पड़ रहा है।

पूर्व कप्तान सुनील गावसकर ने दूसरे टेस्ट की करारी हार के बाद कहा था कि मैदान में धोनी अकेले पड़ गए हैं, सीनियर खिलाड़ी उन्हें कोई सलाह नहीं दे रहे हैं। ड्रेसिंग रूम से जो खबरें छनकर बाहर आ रही हैं, उसमें कहा जा रहा है कि टीम इंडिया में दरार आ गई है और टीम दो खेमों में बंट गई है।

दरार की वजह कप्तान धोनी और सहवाग में अनबन होना बताया जा रहा है। सहवाग चाहते थे कि तीसरे टेस्ट मैच के प्रति टीम का हर खिलाड़ी गंभीर रहे और पर्थ टेस्ट से पूर्व अच्छा खासा अभ्यास करे। सोमवार के दिन टीम इंडिया में धोनी खेमे के खिलाड़ी सैर सपाटा करने निकल गए। इनमें सचिन भी शामिल थे जो पत्नी अंजलि और बेटे अर्जुन के साथ घूम रहे थे। खिलाड़ियों ने गो कार्टिंग करके अपना मनोरंजन किया।

सहवाग के अलावा राहूल द्रविड़ और वीवीएस लक्ष्मण भी गो कार्टिंग करने के खिलाफ थे और तीनों की दलील थी कि इसके बजाय खिलाड़ी अभ्यास पर अपना ध्यान केन्द्रित करें तो पर्थ में भारत पलटवार कर सकता है।

कहा जा रहा है कि टीम में अनबन कप्तानी को लेकर है। धोनी का साथ जूनियर क्रिकेटर दे रहे हैं जबकि सीनियर क्रिकेटर सहवाग की कप्तानी में खेलने के पक्ष में हैं। यही कारण है कि टीम का तालमेल सही नहीं बैठ रहा है।

इसी बीच 'हेराल्ड सन' ने मीडिया वार शुरु कर दिया है। अखबार लिखता है कि टीम इंडिया खेमों में बंट गई है, अंदरुनी फूट के कारण ही खिलाड़ी बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पा रहे हैं। इसमें बाकायदा बताया जा रहा है कि टीम में एक गुट सहवाग का है तो दूसरा गुट धोनी को पसंद करता है।

हेराल्ड ने संस्कृति का मुद्दा उठाते हुए लिखा कि टीम में अंग्रेजी के साथ ही 6 विभिन्न भारतीय भाषा बोलने वाले खिलाड़ी है। यह बात उस संदर्भ में लिखी गई है जब राहुल द्रविड़ ने कैनबरा में 'ब्रैडमैन व्याखानमाला' में कहा था कि टीम में भले ही विभिन्न भाषा बोलने वाले हो लेकिन जब मैदान पर जाते हैं तो उनकी भाषा 22 गज की विकेट रहती है और वे क्रिकेट के अलावा कुछ नहीं सोचते।

अखबार ने यह भी लिखा कि टीम इंडिया के खिलाड़ी क्रिकेट से कहीं अधिक पैसा विज्ञापन के ‍जरिए कमाते हैं। ग्रेग चैपल की टिप्पणी का उल्लेख करते हुए कहा कि ग्रेडिंग सिस्टम के जरिए भारत में जूनियर खिलाड़ियों को कम और सीनियरों को अधिक पैसा मिलता है। जूनियर क्रिकेटर सीनियर क्रिकेटरों के डर से अपनी बात खुलकर कहने में डरते हैं।

यूं देखा जाए तो मीडिया वार क्रिकेट की बिरादरी में कोई नया नहीं है। लेकिन इतना जरूर है कि 26 सालों के बाद न्यूजीलैंड ने जिस ऑस्ट्रेलियाई टीम को उसी के घर में हराया था, वही लुटी पिटी ऑस्ट्रेलियाई टीम वनडे की विश्व चैम्पियन भारत के सामने पहाड़ बनकर खड़ी है। सचिन से लेकर सहवाग जैसे सितारे भी एक शतक के लिए तरस गए हैं।

पर्थ का विकेट ऑस्ट्रेलियाई जमीं का सबसे तेज विकेट माना जाता है और यहां भी भारतीय नहीं संभले तो यकीनन उन खबरों पर यकीन करना पड़ेगा कि भारतीय टीम दो खेमों में बंट गई है और धोनी व सहवाग में दरार आ गई है। फिर भले ही ये दोनों मैदान पर दोस्ताना व्यवहार का दिखावा ही क्यों न करें। (वेबदुनिया न्यूज)

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi