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आईसीएल से जुड़ने पर खेद नहीं:रोहन

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धर्मशाला (भाषा) , मंगलवार, 1 सितम्बर 2009 (16:43 IST)
इंडियन क्रिकेट लीग छोड़ने के बाद फिर से बीसीसीआई से जुड़ने वाले रोहन गावस्कर की निगाहें बंगाल रणजी टीम में वापसी करने पर लगी हैं, जिसके एक समय वे कप्तान थे।

बाएँ हाथ का यह बल्लेबाज 2007 में आईसीएल से जुड़ा था लेकिन उन्हें अपने इस फैसले पर खेद नहीं है, जिसके कारण दो साल पहले उनके लिए भारतीय टीम में वापसी के रास्ते बंद हो गए थे।

रोहन ने कहा कि मुझे अपने फैसले पर खेद नहीं है। मैंने तब आईसीएल से जुड़ने का फैसला, इसलिए किया था क्योंकि मैं चोटी के अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों के साथ खेलना चाहता था। आईसीएल में कई अच्छे अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर खेले थे।

बीसीसीआई कॉरपोरेट टूर्नामेंट में टाटा एससी टीम की तरफ से खेलने के लिए यहाँ आए रोहन ने कहा कि उसमें लगभग पूरी पाकिस्तानी टीम थी। उनके अलावा शेन बांड, क्रेग मैकमिलन (न्यूजीलैंड), ब्रायन लारा (वेस्टइंडीज) और लांस क्लूसनर (दक्षिण अफ्रीका) जैसे खिलाड़ी भी उसमें खेले थे। जब मैं आईसीएल से जुड़ा था तो जानता था कि मेरे लिए भारतीय टीम के दरवाजे बंद हो गए हैं।

महान बल्लेबाज सुनील गावस्कर के पुत्र रोहन उन 71 क्रिकेटरों में शामिल है, जिन्होंने इस साल के शुरू में आईसीएल को छोड़कर फिर से बीसीसीआई से नाता जोड़ लिया था। इस 33 वर्षीय खिलाड़ी को हाल में बंगाल रणजी ट्रॉफी के संभावित खिलाड़ियों में चुना गया और अब वे कारपोरेट टूर्नामेंट में बेहतरीन प्रदर्शन करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

रोहन ने कहा कि फिर से आधिकारिक क्रिकेट में लौटकर मैं वास्तव में अच्छा महसूस कर रहा हूँ, लेकिन मुझे बागी का तमगा हमेशा बहुत बुरा लगा क्योंकि आखिरकार आप क्रिकेट ही खेल रहे थे कोई गलत काम तो नहीं कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि अब मुझे बंगाल रणजी की संभावित टीम में शामिल किया गया है और मुझे अंतिम टीम में जगह बनाने की उम्मीद है। बंगाल के लिए मेरा रिकार्ड भी प्रभावशाली रहा है। रोहन ने कहा कि यह (कारपोरेट ट्रॉफी) मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण टूर्नामेंट है।

आईसीएल छोड़ने के बाद यह मेरा पहला आधिकारिक टूर्नामेंट है इसलिए मैं यहाँ अच्छा प्रदर्शन करना चाहता हूँ। अब तक 11 एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैच खेलने वाले रोहन अब प्रत्येक मौके का फायदा उठाना चाहते हैं।

उन्होंने कहा कि सिर्फ क्रिकेट ही नहीं जिंदगी में भी आपको भाग्य की जरूरत पड़ती है। आप सोचते हो कि ऐसा हुआ, वैसा हुआ लेकिन अब पीछे मुड़कर देखने या फिर यह सोचने का कोई फायदा नहीं है कि भाग्य ने मेरा साथ दिया या नहीं। इससे मंतव्य हल नहीं होगा। भविष्य पर ध्यान देने में ही चतुराई है।

रोहन ने कहा कि वे अब भी पहले की तरह क्रिकेट के प्रति जुनूनी हैं। मैंने मशहूर बनने के लिए क्रिकेट खेलना शुरू नहीं किया था। मैंने इस खेल के प्रति प्यार के कारण क्रिकेट खेलना शुरू किया।

उन्होंने कहा कि अब क्रिकेट मेरा करियर बन गया है लेकिन जब मैंने शुरुआत की थी तब मैंने इसे करियर के विकल्प के रूप में नहीं देखा था। मैंने पैसे के लिए क्रिकेट खेलना शुरू नहीं किया क्योंकि तब इस खेल में ज्यादा पैसा नहीं था। आप कोई खेल इसलिए खेलते हो क्योंकि आप उसे चाहते हो।

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