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क्रिकेट बोर्ड को जवाब देने का निर्देश

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चेन्नई (भाषा) , मंगलवार, 16 दिसंबर 2008 (22:06 IST)
मद्रास उच्च न्यायालय ने बीसीसीआई और इसके सचिव से एक मामले में जवाब दाखिल करने को कहा है जिसमें इसके नियमों के एक संशोधन को दरकिनार करते हुए आईपीएल और टी-20 प्रतियोगिताओं को एक धारा से छूट देने की माँग की गई है। इस धारा के तहत बोर्ड द्वारा आयोजित मैचों में किसी प्रशासक के कोई वाणिज्यिक हित नहीं होने चाहिए।

बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष एसी मुथैया द्वारा दायर इस दीवानी मामले को जब अदालत के सामने लाया गया तो न्यायमूर्ति पीआर शिवकुमार ने नोटिस जारी किए और मामले की सुनवाई 20 जनवरी के लिए मुलतवी कर दी।

नियमों की धारा 6-2/4 के अनुसार बीसीसीआई द्वारा आयोजित किए जाने वाले किसी भी मैच अथवा प्रतियोगिता में किसी प्रशासक के प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष वाणिज्यिक हित नहीं होने चाहिए। मुथैया ने मामले में अदालत ने कहा है कि वह एन श्रीनिवासन के बोर्ड के सचिव और तमिलनाडु क्रिकेट एसोसिएशन (टीएनसीए) के अध्यक्ष के तौर पर काम करने पर रोक लगाए।

मुथैया का कहना था कि श्रीनिवासन इंडिया सीमेंट्स लिमिटेड के प्रबंध निदेशक हैं और चेन्नई सुपर किंग्स के सफल बोलीदाता भी हैं। इस नाते आईपीएल में उनके प्रत्यक्ष वाणिज्यिक हित जुड़े हैं।

मुथैया का कहना है कि श्रीनिवासन ने उक्त धारा का स्पष्ट उल्लंघन किया है। उनका कहना है कि बोर्ड के कोषाध्यक्ष और टीएनसीए के अध्यक्ष पद पर रहते हुए श्रीनिवासन ने इंडिया सीमेंट्स को टीमों के स्वामित्व के आईपीएल अधिकार लेने के लिए बोली लगाने को कहा।

मुथैया ने कहा कि बोर्ड ने 27 सितंबर को अपनी वार्षिक आम सभा में इस धारा में संशोधन कर दिया ताकि आईपीएल और टी-20 को इस नियम से अलग रखा जा सके। उन्होंने कहा कि यह संशोधन पूरी तरह से गैर कानूनी है और बीसीसीआई की शक्तियों का गलत इस्तेमाल है।

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