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भारतीय गेंदबाज बने 'हीरो' से 'जीरो'

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ओवल , गुरुवार, 8 सितम्बर 2011 (23:33 IST)
इंग्लैंड दौरे में भारतीय गेंदबाजों ने जिस तरह निराश किया है, उसने राष्ट्रीय चयनकर्ताओं को यह सोचने पर जरूर मजबूर किया होगा कि अगले किसी विदेशी दौरे में उन्हें सबसे ज्यादा इसी विषय पर 'होमवर्क' करना होगा।

इंग्लैंड में पहले टेस्ट मैचों में और फिर वनडे मैचों में भारत की निहायत कमजोर गेंदबाजी ने उन्हें हीरो से जीरो बना दिया है। दूसरे वनडे में बल्लेबाजों ने तो अपना कर दिया था लेकिन गेंदबाज स्कोर की रक्षा नहीं कर पाए।

तेज गेंदबाजों का अभाव : भारत में हमेशा से तेज गेंदबाजों का अभाव रहा। जिन्हें आप तेज गेंदबाज समझते रहे हैं, दरअसल वे मध्यम किस्म के तेज गेंदबाजों की श्रेणी में आते हैं। भारतीय क्रिकेट टीम के मौजूदा गेंदबाजों को आप तेज गेंदबाज तो मानने की भूल नहीं कर सकते।

इन्हें कहते हैं तेज गेंदबाज : जैफ थॉमसन, डेनिस लिली, मेल्कम मार्शल, कोर्टनी वॉल्श, वकार यूनुस, वसीम अकरम, शोएब अखतर, ब्रेट ली, लसिथ मलिंगा (और भी हैं कई नामी गेंदबाज हैं और हुए जिनकी फेहरिस्त काफी लंबी हो सकती है) के बाद एंडरसन, स्टुअर्ट ब्राड और ब्रेसनेन को आप वाकई तेज गेंदबाजों की श्रेणी में शुमार कर सकते हैं। लेकिन इन सभी गेंदबाजों की रफ्तार के आगे भारतीय गेंदबाजों की रफ्तार हमेशा से कम रही, फिर वो कपिलदेव निखंज ही क्यों न हो।

कितने गेंदबाज बीते 5 सालों में आजमाए गए : राष्ट्रीय चयनकर्ताओं ने पिछले 5 सालों में टेस्ट मैचों में 12 नए गेंदबाज और वनडे में 20 गए गेंदबाज आजमाए लेकिन आज जब इंग्लिश गेंदबाजी के कहर को देखते हैं तो लगता है कि उनके सामने भारतीय गेंदबाज कहीं नहीं ठहरते। दरअसल भारतीय उपमहाद्वीप के टर्न लेते पिचों पर काम चलाऊ गेंदबाज विकेट तो निकाल लेते हैं लेकिन तेज विकेटों पर उनका कोई बस नहीं चलता।

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