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भारत और ऑस्ट्रेलिया की जंग आज से

तमाम नजरें सौरव गांगुली के प्रदर्शन पर टिकीं

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भारत और ऑस्ट्रेलियाके बीच गुरुवार से यहाँ शुरू हो रहे चार टेस्ट क्रिकेट मैचों की श्रृंखला के पहले मैच में सभी की नजरें सौरव गांगुली पर टिकी होंगी, जो बेजोड़ प्रदर्शन करते हुए उतार-चढ़ाव से भरे अपने करियर स्वर्णिम अंत करना चाहेंगे।

मौजूदा श्रृंखला के बाद संन्यास लेने का फैसला लेकर पूरे क्रिकेट जगत को हैरान करने वाले गांगुली को उम्मीद होगी कि क्रिकेट की युद्धभूमि पर उनका अंतिम सफर किसी परीकथा से कम न हो। भारत इस श्रृंखला में जीत दर्ज करके 2004 में घरेलू सरजमीं पर श्रृंखला गँवाने का बदला भी चुकता करना चाहेगा।

बंगाल के बाएँ हाथ के इस बल्लेबाज ने श्रृंखला से पूर्व संन्यास की घोषणा उसी तरह की है जिस पर उनके प्रतिद्वंद्वी और ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान स्टीव ॉ ने 2004 में इन दोनों टीमों के बीच ऑस्ट्रेलिया में हुई श्रृंखला के दौरान की थी, जिसके बाद सभी की नजरें श्रृंखला में उनके प्रदर्शन पर टिकी थीं।

मुख्य चयनकर्ता क्रिस श्रीकांत ने जब उनसे संन्यास की योजना के बारे में पूछा था तो गांगुली ने उनसे अपील की थी मुझे बिना किसी दबाव के खेलने दीजिए, लेकिन अब इस फैसले की घोषणा के बाद बाएँ हाथ के इस बल्लेबाज से उम्मीद की जा रही है कि वह विशेष पारी के साथ अपने करियर का अंत करेंगे जो गौरवशाली रहने के साथ साथ विवादास्पद भी रहा है।

गांगुली की संन्यास की घोषणा के बाद यह सुगबुगाहट तेज हो गई कि अगर टीम के अन्य सीनियर खिलाड़ी सचिन तेंडुलकर, वीवीएस लक्ष्मण और राहुल द्रविड़ की तिकड़ी अच्छा प्रदर्शन करने में असफल रहती है तो उन्हें भी एक-एक करके हटाया जा सकता है।

हालाँकि भारतीय टीम में उथलपुथल से भी ऑस्ट्रेलियाई टीम को अधिक जश्न मनाने का मौका नहीं मिलेगा क्योंकि उसे भारत के सूखे और सख्त विकेटों पर स्पिन के खिलाफ अपनी कमजोरी से निपटने पर अधिक ध्यान देना होगा।

कप्तान रिकी पोंटिंग के नाम 10 हजार से अधिक टेस्ट रन है लेकिन वह भारत की सरजमीं पर कभी अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाए। दाएँ हाथ का यह बल्लेबाज भारत में बेहतर प्रदर्शन करने को बेताब होगा, लेकिन अनिल कुंबले और हरभजनसिंह उनकी परेशानी बढ़ाने के लिए तैयार होंगे।

भारत के अनुभवी स्पिन गेंदबाज ही श्रृंखला में ऑस्ट्रेलिया पर भारत का पलड़ा भारी करते हैं क्योंकि शेन वॉर्न के संन्यास के बाद टीम उनका स्थाई विकल्प ढूँढने में नाकाम रही है।

दिग्गज स्पिन गेंदबाज वॉर्न जब अपने खेल के शीर्ष पर थे तो उनको भी भारतीय पिचों पर संघर्ष करना पड़ा था ऐसे में कैमरूम व्हाइट और जेसन क्रेजा के सामने मेजबान टीम के बल्लेबाजी को अधिक परेशानी नहीं होगी, लेकिन स्पिन विभाग में पलड़ा भारी होने के बावजूद भारतीय टीम अपनी विरोधी विश्व चैम्पियन टीम को हल्के में लेने की गलती नहीं करना चाहेगी।

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