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मेजबानों के हक में नहीं विश्वकप

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विश्वकप विजेता कप्तान कपिल देव से जब मेजबान द्वारा विश्वकप न जीते जाने के संबंध में प्रश्न किया गया तो उन्होंने उम्मीद जताई कि इस बार यह मिथ टूट सकता है। अर्थात भारत के कप जीतने के प्रति वे आश्वस्त लगे। खुदा करे ऐसा ही हो पर अब तक के खत्म नौ संस्करणों में ऐसा हुआ नहीं।

मेजबान टीमें आयोजन की सारी दिक्कतें उठाती रहीं पर विश्वकप उनका नहीं हो सका। प्रूडेंशियल के प्रथम तीन आयोजन इंग्लैंड की मेजबानी में हुए थे पर विश्वकप ले गए मेहमान बनकर वेस्टइंडीज व भारत।

विश्वकप 87-88 भारत-पाकिस्तान की संयुक्त मेजबानी में खेला गया पर दोनों देश सेमी में पीछे हट गए और ऑस्ट्रेलिया ने विश्व कप पर अपना कब्जा जमा लिया। अब बारी ऑस्ट्रेलिया-न्यूजीलैंड की थी। उन्होंने बड़े ही प्रेम से 91-92 में विश्वकप आयोजित किया।
कीवी टीम ने लगातार 7 विजयों के साथ ऐसा दर्शाया कि कप उसका होने जा रहा है पर पाकिस्तान ने दो लगातार जीत न्यूजीलैंड पर हासिल करते हुए उसका न केवल भ्रम तोड़ा बल्कि विश्वकप भी पाक टीम का ही हो गया।

95-96 में भारत-पाक-श्रीलंका थे संयुक्त मेजबान। पाक टीम क्वार्टर फाइनल व भारत सेमी में बाहर हुआ। पर श्रीलंका ने इंग्लैंड (क्वा. फा.), भारत (से. फा.) व ऑस्ट्रेलिया (फाइनल) को पीछे छोड़ते हुए विल्स कप उठा लिया। पर ध्यान रहे श्रीलंका सहमेजबान था और यह एकमात्र अपवाद था।

1999 में आईसीसी विश्वकप पहुँचा इंग्लैंड और इंग्लिश टीम स्पर्धा के पहले चरण में ही बाहर हो गई। मेहमान पाकिस्तान को हराकर मेहमान ऑस्ट्रेलिया चैंपियन बन गया।

2003 में दक्षिण अफ्रीका आयोजक देश था और कुछ मैच केन्या व जिम्बाव्वे में भी खेले गए। प्रमुख मेजबान अपने समूह में चौथे स्थान पर फिसल कर पहले चरण में ही बाहर। जिम्बाव्वे सुपर सिक्स दौर से व केन्या सेमीफाइनल दौर से बाहर। विश्व कप ऑस्ट्रेलिया ने जीता।

2007 में मेजबान वेस्टइंडीज ने समूह डी के तीनों मैच जीते व सुपर एट में पहुँचा। यहाँ इंडीज ने 6 में से एक मैच जीता और स्पर्धा से बाहर हुआ। मेहमान ऑस्ट्रेलिया की विश्वकप जीत की हैटट्रिक बन गई। मेजबान देखता ही रह गया। (नईदुनिया)

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