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घर के बाहर जूते लटकने का रहस्य

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, गुरुवार, 16 जून 2011 (16:32 IST)
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एक सुबह बर्लिन की एक सड़क पर ट्रैम स्टेशन के पास एक आदमी को बिजली के तार पर लटकते हुए जूते दिखे। पहली बार तो उसने ध्यान नहीं दिया। लेकिन कुछ महीनों बाद 11 जोड़ी जूते लटके हुए थे। क्या है इन जूतों का राज।

बर्लिन के बेकर हलील कुर को समझ नहीं आया कि इतने जूते आए कहां से। वह सोच रहा था कि जूते पैर में पहनने के लिए होते हैं हवा में लटकाने के लिए। लेकिन बर्लिन ही इकलौता ऐसा शहर नहीं है जहां रास्ते के किनारे बिजली के तारों पर जूते लटके हुए हों। ऐसी रिपोर्टें हैं कि दुनिया के कई शहरों में बिजली की तारों, ट्रैफिक लाइट्स, बिजली के खंबे, पुल, सब जगह जूते की जोड़ियां लटकी हुई है। किसी को पता नहीं कि ये जूते कहां से आए। कनाडा से अर्जेंटीना, ब्रिटेन से ऑस्ट्रिया न्यूजीलैंड तक यही हाल है।

जर्मनी में भी : जर्मनी में भी कोई नई बात नहीं है। बर्लिन, लाइप्सिग, हैम्बर्ग, कोलोन, म्यूनिख और देश के दक्षिणी छोर के लेक कॉन्सटेंस में भी सड़कों पर जूते लटके दिखाई दे जाते हैं। किसी को पता नहीं कि कौन जूते फेंक रहा है और क्यों। इसके पीछे का कारण समझाने के लिए इंटरनेट पर कई वेबसाइट्स हैं।

सबसे पुरानी कहानी स्कॉटलैंड से आती है। जहां घर के बाहर लटकते हुए जूतों का मतलब होता था कि उस घर में किसी व्यक्ति का कौमार्य भंग हो गया है। अधिकतर कहानियां हालांकि अमेरिकी मूल की हैं। जहां कोई कहता है कि परीक्षा पास करने के प्रतीक के तौर पर स्कूली बच्चे जूते लटका देते हैं। तो कोई कहता है कि सैनिक सेवा खत्म होने के बाद जूते टांग देते हैं। अमेरिका में कई जगहों पर जूतों से भरे पेड़ नजर आते हैं।

शू ट्री : इसकी कहानी अमेरिका के सबसे मशहूर शू ट्री से शुरू होती है। जहां नेवादा के एक खाली से राजमार्ग नंबर 50 पर एक पेड़ पर कई सौ जूते लटके हुए हैं।

कहानी 1990 के दशक की है। जब एक दंपत्ति ने शादी के बाद घर लौटते हुए झगड़ा किया और दूल्हे ने पत्नी के जूते पेड़ पर फेंक दिए। लेकिन वह दोनों फिर पेड़ से जूते नहीं उतार पाए। तो उन दोनों ने आराम से बैठकर सारे विवाद सुलझा लिए। एक कम रोमांटिक कहानी के मुताबिक गली के गैंग्स और ड्रग्स बेचने वाले अपना इलाका दिखाने के लिए जूते लटकाते हैं।

बस यूं ही : भले ही यह परंपरा कहीं से भी आई हो, लेकिन यह फिलहाल हॉलीवुड की फिल्म वैग द डॉग में देखी जा सकती है। shoefiti.com नाम के ब्लॉग पर भी इस प्रक्रिया के बारे में काफी जानकारी दी गई है।

कोलोन में गैलेरी के मालिक गेरार्ड मार्गारिटिस स्ट्रीट और पॉप आर्ट के विशेषज्ञ हैं। वह कहते हैं कि जो भी सड़क पर होता है वह एक तरह से कला है। लेकिन सब इसे इतने कौतुहल से नहीं देखते। बर्लिन क्रॉएत्सबुर्ग के अधिकारी इसे कचरा कहते हैं। उनके मुताबिक जो भी केबल, बिजली के तारों आदि पर जूते फेंक रहा है वह अपराध कर रहा है। जो इसमें पकड़ा जाएगा उसे 35 यूरो दंड के तौर पर देने होंगे।

हालांकि जो जूते पेड़ों पर फेंके गए हैं फिलहाल तो वह वहीं रहेंगे। अपनी अपनी कहानी कहते हुए।

रिपोर्ट : डीपीए/आभा एम
संपादन : एस गौड़

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