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दिल्ली पुस्तक मेले में फ्रैंकफर्ट की धूम

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दिल्ली के विश्व पुस्तक मेले में दुनिया के सबसे बड़े किताब मेले की धूम है। जर्मनी के मशहूर फ्रैंकफर्ट मेले ने दिल्ली के 19वें पुस्तक मेले में टेक्स्ट बॉक्स से खास पहचान बनाई है। संगीत हो या कोई और सब पसंद की जा रहीं है।

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यहाँ सामान्य किताबों से लेकर संगीत तक लोगों की भीड़ खींच रही है। किताबों को संगीत से जोड़ कर फ्रैंकफर्ट पुस्तक मेले ने खास टेक्स्ट बॉक्स तैयार किया है, जिसमें कविता और संगीत साथ चलता है। लकड़ी के चौकोर डिब्बे में खड़ा एक कवि संगीत के साथ जब अपनी कविता पढ़ रहा होता है, तो हेडफोन से इसे सुन रहे दर्जनों श्रोता हैरानी से दातों तले अँगुली दबा लेते हैं।

पुस्तक मेले में कविताओं की भी जगह होती है, लेकिन भीड़-भाड़ और शोर-शराबे में यह अपना असर खो बैठती है। टेक्स्ट बॉक्स के आविष्कारक जर्मनी के बास बताते हैं कि इसी बात को ध्यान में रख कर तीन साल पहले उन्होंने टेक्स्ट बॉक्स तैयार किया। इस अभियान से जुड़ीं नोरा गोमरिनजर बताती हैं कि पिछले साल दो साल में दुनिया के हर बड़े पुस्तक मेले में टेक्स्ट बॉक्स पहुँचा है और हर जगह जबरदस्त हिट रहा है। पेशेवर गायिका और कवियित्रि नोरा ने जब-जब टेक्स्ट बॉक्स में कदम रखा, तो बाहर श्रोताओं का तांता लग गया।

दिल्ली का पुस्तक मेला फ्रैंकफर्ट के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा किताब मेला है। दिल्ली में फ्रैंकफर्ट की मौजूदगी इसे और भव्य बना रही है। टेक्स्ट बॉक्स के अलावा जर्मनी से ख़ास तौर पर लाई गई पुस्तकें भी लोगों को पसंद आ रही हैं।

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यहाँ जर्मन रेडियो डॉयचे वेले की भी हिस्सेदारी है। रेडियो के बाद ऑनलाइन की दुनिया में पहचान बना रहा डॉयचे वेले हिन्दी सहित दुनिया भर के 30 से ज्यादा भाषाओं में रेडियो और ऑनलाइन कार्यक्रम प्रसारित करता है।

मेले में चारों तरफ किताबों से घिरे लोगों के लिए जर्मनी के स्टॉल कुछ ऐसे कोने हैं, जहाँ किताबों से जुड़ाव होने के बाद भी उनसे घिरे होने का अहसास नहीं होता है। इस वजह से लीक से हट कर लगाए गए इन स्टॉलों में अच्छी खासी भीड़ जुट रही है।

जर्मनी के स्टॉलों में लोगों की सबसे ज्यादा दिलचस्पी भाषा सीखने और जर्मनी में करियर के मौके तलाशने की होती है। फ्रैंकफर्ट और डॉयचे वेले के स्टॉलों में उन्हें इस बारे में पूरी जानकारी भी मिल रही है।

- अनवर जे अशरफ (नई दिल्ली से)

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