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पाकिस्तानी महिला वैज्ञानिक दोषी करार

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न्यूयॉर्क की एक अदालत ने पाकिस्तानी महिला वैज्ञानिक को अमेरिकी नागरिकों की हत्या की कोशिश का दोषी करार दिया है। पाकिस्तान ने फैसले पर नाराजगी जताई है। सामने आई होनहार छात्रा और तीन बच्चों की माँ आफिया की दर्द भरी कहानी-

आफिया पर आरोप हैं कि उन्होंने अफगान पुलिस स्टेशन में राइफल छीनी और अमेरिकी नागिरकों को मारने की कोशिश की। यह घटना 2008 में हुई थी, तब अमेरिकी अधिकारी आफिया से अफगानिस्तान के एक पुलिस स्टेशन में पूछताछ कर रहे थे।

आफिया के लिए यह एक राहत की बात है कि उन्हें आतंकवाद के मामले से दूर रखा गया है। अभियोजन पक्ष की दलील थी कि वह न्यूयॉर्क बम साजिश से भी जुड़ी हो सकती है। अभियोजन पक्ष ने यह साबित करने के लिए हवाई दावे भी किए। उन्हें 'अल कायदा लेडी' बताया जाने लगा। न्यूयॉर्क पर हमला करने की साजिश को लेकर ही 2008 में उनकी गिरफ्तारी की गई और उन्हें अमेरिका लाया गया।

आफिया के वकीलों और परिवार वालों ने अदालत के फैसले पर नाराजगी जताई है और इसे पूर्वाग्रह से भरा बताया है। आफिया के वकील का कहना है कि उनके खिलाफ आतंकवाद का कोई मुकदमा ही दर्ज नहीं था, लेकिन तब भी उन्हें आतंकवादी की तरह पेश किया गया। वॉशिंगटन में पाकिस्तानी दूतावास ने बयान जारी कर कहा है कि आफिया को न्याय दिलाने के लिए हर संभव कदम उठाए जाएँगे।

अदालत की कार्रवाई से इतर मानवाधिकार संगठनों का आरोप है कि 2003 में पाकिस्तान से अपने तीन बच्चों के साथ अचानक लापता हुई आफिया को अमेरिकी सेना ने गुप्त ढंग से बंधक बनाया था।

आफिया के लिए आवाज उठाने वाले मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के मुताबिक उन्हें पाँच साल तक अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना के ठिकाने बगराम में कैद रखा गया।

आफिया के परिवार वालों का भी कहना है कि पाकिस्तान के गजनी इलाके में जब स्थानीय सुरक्षाकर्मी अमेरिकी इशारों पर अलकायदा के खिलाफ कार्रवाई कर रहे थे, उसी दौरान आफिया लापता हुईं। मामला 2008 में सामने आया और बचाव पक्ष के मुताबिक अपने बच्चों को खोने के बाद आफिया मानसिक संतुलन खो चुकी हैं।

अमेरिकी सेना ने इन आरोपों का खंडन किया है, लेकिन आफिया ने अदालत में सुनवाई के दौरान एक ही बात कही-''अगर आपको गुप्त ढंग से ऐसी जगह कैद किया जाए, जहाँ आपके बच्चों को यातनाएँ दी जाएँ।''

आफिया अमेरिका में पढ़ाई कर चुकी हैं। वे एक आला दर्जे की छात्रा थीं। आफिया के दो बच्चे अब भी लापता हैं। आशंका जताई जाती है कि उनके एक बच्चे की मौत हो चुकी है। सही सलामत बचा उनका 13 साल का बेटा इस वक्त परिवार के साथ कराची में है। अब उनके वकील और मानवाधिकार संगठन ताजा फैसले के खिलाफ ऊपरी अदालत में जाने की तैयारी कर रहे हैं।

रिपोर्ट: एजेंसियाँ/ओ सिंह

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