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हर 90 मिनट में सूरज डूब जाता है

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, शुक्रवार, 18 अप्रैल 2014 (14:03 IST)
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धरती से 400 किलोमीटर दूर आकाश में लटक रहा है अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन आईएसएस। जर्मनी के अलेक्सांडर गैर्स्ट यहां पहुंचने वाले हैं। उनसे निश्चित ही बहुत से लोगों को ईर्ष्या होगी।

मई के अंत में अलेक्सांडर आईएसएस पहुंचेंगे। उनका तो सपना पूरा हो जाएगा लेकिन करीब 35 फीसदी जर्मन लोगों को उनसे ईर्ष्या होगी जिनका अंतरिक्ष में जाने का सपना फिलहाल अधूरा ही रहेगा।

एक सर्वे के मुताबिक जर्मनी में हर तीसरा व्यक्ति जीवन में एक बार तारों के साथ घूमना चाहता है, इसमें पैसा कोई भूमिका नहीं निभाता। जर्मन प्रेस एजेंसी डीपीए द्वारा करवाए गए सर्वे के मुताबिक औरतें अंतरिक्ष के मामले में जरा बच कर ही रहती हैं।

1070 लोगों के सर्वे में से 68 प्रतिशत महिलाओं ने अंतरिक्ष यात्रा से इनकार कर दिया। जबकि 49 पुरुष वहां जाना चाहते थे। 18 साल से ऊपर के लोगों को इस सर्वे में शामिल किया गया था। इसमें से 65 फीसदी का मानना था कि धरती से बाहर जीवन है।

क्या आने वाले दिनों में इंसान दूसरे ग्रहों पर जा कर रह सकेगा, इसके जवाब में मत बंट गए। 45 फीसदी के मुताबिक ऐसा हो सकता है लेकिन इतने ही ऐसा सोचने वाले भी थे कि नहीं हो सकेगा।

जर्मनी के अलेक्सांडर गैर्स्ट तीसरे ऐसे जर्मन हैं जो अंतरिक्ष में जाएंगे। इससे पहले 2006 में थोमास राइटर और 2008 में हंस श्लेगेल आईएसएस पर गए थे। करीब 15 साल से आईएसएस आसमान में है और इसमें हर समय कोई न कोई प्रयोग, काम चलता रहता है। अधिकतर समय रूसी और अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री यहां होते हैं। ये लोग छह महीने धरती से बाहर आसमान में गुजारते हैं। यूरोप के अलावा कनाडा, जापान, रूस और अमेरिका भी इसमें शामिल हैं।

सर्वे में शामिल लोगों में से 51 फीसदी का मानना है कि जर्मनी को भी आने वाले दिनों में अंतरिक्ष में इंसान भेजने चाहिए। हालांकि 35 फीसदी इसका विरोध करते हैं।

28,000 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार पर हर 90 मिनट में सूरज ढलता है और उगता है। ये स्टेशन सौर ऊर्जा से चलता है। आईएसएस अंतरिक्ष में लटका हुआ दूसरा स्टेशन है। 2001 में प्रशांत महासागर में रूसी स्टेशन मीर डूब गया था।

- एएम/आईबी (डीपीए,एएफपी)

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