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मनमोहन ने रचा इतिहास

हमें फॉलो करें मनमोहन ने रचा इतिहास
नई दिल्ली (भाषा) , रविवार, 17 मई 2009 (10:07 IST)
परमाणु करार के मुद्दे पर अपनी सरकार को जोखिम में डालने वाले डॉक्टर मनमोहन सिंह ने 'सिंह इज किंग' का जुमला सही साबित कर दिखाया है। भारत में आर्थिक सुधारों के नायक मनमोहन अब इतिहास रचने जा रहे हैं और जवाहरलाल नेहरू के बाद े दूसरे ऐसे प्रधानमंत्री होंगे जो पाँच साल सरकार चलाने के बाद लगातार दोबारा देश की बागडोर संभालेंगे।

लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने जबरदस्त प्रदर्शन किया है लेकिन सचाई यह है कि सार्वजनिक जीवन में स्वच्छ छवि रखने वाले मनमोहन सिंह कभी कोई चुनाव नहीं जीत पाए इसलिए पार्टी ने उन्हें राज्यसभा के लिए मनोनीत किया।

कांग्रेस की जीत 76 वर्षीय मनमोहन के लिए भारी राहत लेकर आई है। वामदलों ने भारत-अमेरिकी परमाणु करार मुद्दे पर मनमोहन पर देश की संप्रभुता से समझौता करने का आरोप लगाया जबकि विपक्ष ने उन्हें मुखौटा प्रधानमंत्री कहकर उनकी खिल्ली उड़ाने का भरपूर प्रयास किया।

सिंह की पत्नी गुरशरण कौर ने पिछले महीने एक इंटरव्यू में कहा था कि यह सब किस्मत की बात है। यदि आपकी किस्मत में देश की सेवा करना लिखा है तो आप करेंगे।

अमेरिका के साथ परमाणु करार सिंह की प्रधानमंत्री के रूप में महत्वपूर्ण उपलब्धि है और इससे दशकों तक अंतरराष्ट्रीय परमाणु समुदाय से अलग-थलग पड़े भारत को उससे जोड़ा जा सका।

सिंह की अब तक की सबसे बड़ी उपलब्धि हालाँकि नब्बे के दशक में शुरू की गई आर्थिक सुधार प्रक्रिया रही।

ऑक्सफोर्ड यूनीवर्सिटी से अर्थशास्त्र में डीफिल मनमोहन ने भारतीय अर्थव्यवस्था को खुला बनाया। उन्होंने करों में कटौती की और लालफीताशाही को समाप्त किया। वे देश को उच्च विकास की राह पर ले गए।

पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिंहराव ने मनमोहन को वित्तमंत्री बनाया और मनमोहन ने वृहद आर्थिक सुधार किए जिनमें विदेशी निवेश के लिए बाजार को खुला बनाना शामिल था। उसके बाद से सिंह ने पलटकर नहीं देखा और 2004 में वे प्रधानमंत्री बने और एक बार फिर वे पीएम बनने के लिए तैयार हैं।

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