विवादों में घिरे संत आसाराम बापू और उनके पुत्र नारायण सांई को शुक्रवार को उस समय बड़ी राहत मिली, जब गुजरात सरकार ने यहाँ उच्च न्यायालय में अपना जवाब दाखिल करते हुए कहा कि दोनों के खिलाफ कोई फौजदारी प्रकरण नहीं है।
न्यायाधीश डब्ल्यूए शाह की अदालत में गत 13 अगस्त को नारायण सांई की ओर से अभिभाषक पीके सक्सेना ने अग्रिम जमानत की याचिका दायर की थी। इस याचिका को स्वीकार करते हुए न्यायालय ने गुजरात सरकार को नोटिस जारी करते हुए अपना पक्ष रखने को कहा था।
आज गुजरात सरकार की ओर से दिए गए जवाब पर सुनवाई करते हुए न्यायाधीश ने यह कहकर नारायण सांई की अग्रिम जमानत की अर्जी निरस्त कर दी कि जब इन दोनों के खिलाफ कोई प्रकरण ही नहीं तो जमानत की क्या अवश्यकता है।
नारायण सांई की अग्रिम जमानत की अर्जी में कहा गया था कि गुजरात पुलिस और सीआईडी उन्हें अहमदाबाद स्थित उनके पिता के आश्रम में हुई दो बच्चों की मौत के सिलसिले में उन्हें गिरफ्तार कर सकती है।
इन्दौर उच्च न्यायालय को गुजरात सरकार द्वारा भेजे गए जवाब में कहा गया कि न तो आश्रम में हुई दो बच्चों की मौत या अन्य किसी भी मामले में नारायण सांई या आसाराम बापू के विरुद्ध कोई प्रकरण दर्ज है। गुजरात पुलिस की ओर से प्रस्तुत इस जवाब के बाद न्यायालय ने नारायण सांई की अग्रिम जमानत की अर्जी निरस्त कर दी।