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कीजिए खूबसूरत 'डलहौजी' की सैर

चंबा घाटी की यह अमूल्य धरोहर है 'डलहौजी'

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कांगड़ा से 18 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं डलहौजी। जहां पहाड़ों का राजा कहे जाने वाले हिमाचल प्रदेश में कदम-कदम पर प्रकृति ने सुंदरता के एक से बढ़कर एक नमूने बिखरा दिए हैं। जहां जाएं बस मन मचलकर रह जाए। यहां की शीतल, मंद और महकती हवाएं हर किसी के मन को मोह लेती है। जब किसी ऐसी जगह पहुंच जाएं जहां बस पहाड़ हों, पेड़ हों और दूर-दूर तक फैली हरियाली हो तो यह नजारा और भी मन को मोहने वाला होता है।

चंबा घाटी की यह अमूल्य धरोहर गर्मी में मन को असीम आनंद देने वाली साबित होती है। सर्दी के मौसम में यहां बर्फ का मजा लिया जा सकता है। तब यहां का तापमान शून्य से भी नीचे चला जाता है। जब मैदानी इलाकों में भयंकर गर्मी पड़ रही होती है तो यहां का तापमान भी 35 डिग्री तक पहुंच जाता है। इस जगह की खोज 19वीं शताब्दी के मध्य में ब्रिटिश गवर्नर जनरल लॉर्ड डलहौजी ने की थी।

डलहौजी अपने आपमें ही बेहद खूबसूरत जगह है। कुदरत ने डलहौजी के आस-पास भी बेहद खूबसूरती बिखेर रखी है। दर्जनों ऐसे स्थल हैं जहां सुकून के साथ कुछ समय बिताया जा सकता है। आइए जानते हैं यहां के कुछ खास स्थल जिसे आप प्राथमिकता से देख सकते हैं।

बड़ा पत्थर- डलहौजी से चार किलोमीटर की दूरी पर स्थित अहला गांव में भुलावनी माता का मंदिर है जिसे देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं।

धाइनकुंड- यह स्थान डलहौजी से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां से व्यास, चिनाब और रावी नदियों का विहंगम दृश्य दिखाई देता है। यहां आने वाले सैलानियों के लिए यह मशहूर पर्यटक स्थल बन चुका है।

बकरोटा हिल्स- यहां घूमने आने वालों के लिए बकरोटा मॉल बेहद लोकप्रिय जगह है। यहां से पहाड़ी वादियों का खूबसूरत नजारा दिखाई देता है।

कालाटोप- लगभग साढ़े आठ किलोमीटर की दूरी पर स्थित कालाटोप में छोटी सी वाइल्ड लाइफ सेंचुरी है। यहां जंगली जानवरों को नजदीक से देखा जा सकता है।

सुभाष बावली- जीपीओ से लगभग डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है सुभाष बावली। यहां से बर्फ से ढंकी चोटियों को आसानी से देखा जा सकता है।

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सतधारा- यहां के पानी को पवित्र माना जाता है। हालांकि इस पानी में कई तरह के खनिज पदार्थ होने की वजह से यह दवाई का काम करता है।

पंजपुला- यहां का नजारा देखने लायक होता है। यहां पानी की पांच छोटे-छोटे पुलों के नीचे से बहता है। यह स्थान दो किमी की दूरी पर स्थित है।

कैसे पहुंचें : सड़क मार्ग से आने वाले पर्यटकों को यहां पहुंचना बिलकुल भी मुश्किल नहीं है। दिल्ली-एनसीआर से चंडीगढ़ होते हुए डलहौजी आसानी से पहुंचा जा सकता है। कांगड़ा का रेलवे स्टेशन भी सबसे नजदीक पड़ता है जो यहां से 18 किलोमीटर दूरी पर स्थित है। कांगड़ा में स्थित गागल हवाई अड्डा यहां का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा है। जो सैलानियों के लिए कांगड़ा के बाद ऐसा पहाड़ी स्थल, जो सिर्फ 12 किलोमीटर की दूरी पर पड़ता है।

दिल्ली से 514 किलोमीटर की दूरी पर स्थित डलहौजी में आकर सभी का मन बागबाग हो जाता हैं। यहां की दूरी चंडीगढ़ से 239 किमी, कुल्लू से 214 किमी और शिमला से 332 किमी है। चंबा यहां से 192 किलोमीटर दूर है। यहां आने का सबसे अच्छा समय अप्रैल से जून और सितंबर-अक्टूबर का माह होता है। यहां का सुबह-शाम का मौसम तो मन मोहने वाला होता है, जिसे शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता है।

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