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हरिद्वार-ऋषिकेश की यात्रा

- राजश्री

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उत्तरांचल में हरिद्वार से गंगोत्री के बीच अनेक तीर्थ स्थल व पर्यटन स्‍थल है। ऐसे में अगर आप अपने परिवार के साथ एक सप्ताह तक पर्यटन यात्रा का आनंद उठाना चाहते हैं, तो हरिद्वार की यात्रा पर जा सकते हैं। वहां के खूबसूरत पहाड़ व कलकल करती नदियां जरूर आपका मन मोह लेंगी।

यहां के पर्यटन स्थल व तीर्थ पर घूमने का मौसम मई के पहले या अंतिम सप्ताह में आरंभ होता है। जहां पंचांग के हिसाब से मंदिरों के पट खुलने के दिन और तारीख की घोषणा की जाती हैं। इसी तरह दशहरे के आसपास फिर घोषणा की जाती है कि अब मंदिरों के पट कब बंद होंगे।

हरिद्वार नगरी को ही भगवान हरि (बद्रीनाथ) का द्वार माना जाता है, जो गंगा के तट पर स्थित है। इसे गंगा द्वार और पुराणों में इसे मायापुरी क्षेत्र कहा जाता है। यह भारत वर्ष के सात पवित्र स्थानों में से एक है।

ऋषिकेश हरिद्वार से महज 25 किलोमीटर की दूरी पर है, जिसे पूरे एक दिन में घूमा जा सकता है। वैसे तो यहां काफी दर्शनीय स्‍थल देखने लायक है। जैसे- हरिद्वार का मंसादेवी-माया देवी का मंदिर, गुरुकुल कांगडी विश्वविद्यालय, चंडी देवी का मंदिर, सप्तऋषि आश्रम, दक्ष प्रजापति का मंदिर, भीमगोड़ा तालाब, भारत माता मंदिर आदि। जहां दर्शन के लिए जाते समय आप रोप-वे का आनंद उठा सकते है।

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इसी तरह हरिद्वार में हर की पौड़ी को ब्रह्मकुंड कहा जाता है। इसी विश्वप्रसिद्ध घाट पर कुंभ का मेला लगता है। यह एक विशाल कुंड है, जिसमें हमेशा कमर तक पानी रहता है। गंगा की मुख्य धारा से अलग हो उसकी एक शाखा इस कुंड से होकर प्रवाहित होती है। इसे ब्रह्मकुंड के नाम से भी जाना जाता है। यहां की आरती बहुत ही प्रसिद्ध एवं मनोहारी है। हरिद्वार अपने मंदिरों, स्नान घाटों एवं कुंडों के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है। हरिद्वार का मुख्य आकर्षण भारत की सबसे पवित्र नदी गंगा है। यहां आनेवाले तीर्थ यात्री यहां से गंगाजल ले जाना नहीं भूलते, उनका विश्वास है कि यह गंगा जल हमेशा शुद्ध ही रहता है।

हरिद्वार के पास ही देहरादून के मोहंड से शुरू होकर कोटद्वार लालधाम तक फैला हुआ राजाजी नेशनल पार्क का एक भाग चील्‍ला है। जो काफी बड़ा क्षेत्र है और सफेद हाथी के लिए खास तौर पर प्रसिद्ध है। इस पार्क में कई दुर्लभ वन्‍यजीव भी देखे जा सकते हैं।

यहीं पर एक पुराना बाजार भी है जिसे बड़ा बाजार के नाम से जाना जाता हैं। यह बाजार गंगा के किनारे-किनारे दूर तक फैला हुआ है। जिसके दोनों तरफ दुकानें ही दुकानें हैं, जहां टूरिस्‍टों का मेला देखा जा सकता है। यहां के सामानों की खरीददारी का अपना ही महत्व है, जो देखते ही बनता है।

ऋषिकेश से थोड़े आगे जाने पर नरेंद्र नगर नाम का छोटा-सा खूबसूरत पहाड़ी शहर है। उसके आगे कुंजापुरी का मंदिर। यहां पर टिहरी नरेश का महल भी स्थित है, जो अब होटल आनंदा (फाइव स्‍टार होटल) में तब्‍दील हो चुका है। दुनिया भर में स्‍पा उपचार के लिए मशहूर यहां का एक विश्वस्‍तरीय डीलक्‍स रिजॉर्ट है। जहां से ऋषिकेश की पूरी घाटी ही नजर आती है। इसके ठीक आगे ही चंबा और न्‍यू टिहरी हैं।

उत्तराखंड के मनोहारी और मोक्षदायक माने जाने वाले श्रद्धा के केन्द्र हैं तथा यात्रा के दौरान कई मनोहारी दृश्य, वाटरफॉल, ऊंचे-ऊंचे पहाड़, गहरी नदियां आदि आपकी इस यात्रा को आकर्षक बनाते हैं।

कहां ठहरे :- यहां उत्तरांचल सरकार ने पर्यटकों के लिए आवास गृह बनाए हैं। पर्यटक अपने बजट के हिसाब से ठहरने के स्थान का चयन कर सकते हैं। धर्मशाला, बाबा कमली मंदिर समिति के आवास स्थान भी उपलब्ध है। यह एक विशिष्ठ धार्मिक स्थल होने के कारण यहां शाकाहारी भोजन ही मिलता है।

कैसे पहुंचे :- आमतौर पर लोग हरिद्वार से यात्रा आरंभ करते हैं। हरिद्वार दिल्ली से लगभग 225 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। दिल्ली व हरिद्वार, गढ़वाल विकास निगम-मंडल द्वारा कई टूर प्लान उपलब्ध हैं। दिल्ली से हरिद्वार के लिए आप चाहे तो ट्रेन अथवा बस से भी जा सकते हैं। जहां, प्राइवेट टैक्सी, उत्तरांचल रोडवेज की बसें या निजी यातायात सेवाएं भी आसानी से उपलब्ध हो जाती है, जिसका लाभ पर्यटक आसानी से उठा सकते हैं।

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