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हिमाचल का मनोहारी स्थल मैकलॉडगंज

भारत और तिब्बत संस्कृतियों का संगम

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- पूनम
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जहां तक नजर जाए हिमालय पर्वत श्रृंखला की ऊंची-नीची चोटियां और उनके ऊपर जमकर पिघल चुकी बर्फ के निशान। चट्टानों पर खड़े चीड़ और देवदार के हरे-भरे पेड़ किसी के भी मन को अपनी ओर खींचते नजर आते हैं। रात हो या सुबह-शाम ठंडी हवा के झोंके तन बदन को बेहद सुकून देते हैं। हम बात कर रहे हैं हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला से नौ किलोमीटर की दूरी पर स्थित मशहूर पर्यटक स्थल मैकलॉडगंज की। छुट्टियों के दिनों में दिल्ली-एनसीआर की गर्मी से राहत पाने की यह अच्छी जगह है।

समुद्र तल से 1830 मीटर की ऊंचाई पर स्थित मेकलॉडगंज एक छोटा-सा कस्बा है। यहां दुकानें, रेस्तरां, होटल और सड़क किनारे लगने वाले बाजार सब कुछ हैं। गर्मी के मौसम में भी यहां खासी ठंडक रहती है। सैलानियों की पसंद के मंदिर, मोनेस्ट्री, ठंडे पानी के झरने व झील आदि सब कुछ हैं।

यहां का सबसे प्रमुख आकर्षण दलाई लामा का मंदिर है जहां शाक्य मुनि, अवलोकितेश्वर एवं पद्मसंभव की मूर्तियां विराजमान हैं। नामग्याल मोनेस्ट्री भी मशहूर है। यहां भारत और तिब्बत की संस्कृतियों का संगम देखने को मिलता है। तिब्बती संस्कृति और सभ्यता को प्रदर्शित करता एक पुस्तकालय भी स्थित है। मार्च से जुलाई के बीच यहां ज्यादा संख्या में सैलानी आते हैं। इन दिनों यहां का मौसम बेहद सुकून भरा होता है।

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यहां घूमने आने के लिए कम से कम दो-तीन दिन का समय निकालकर जरूर आएं, ताकि आप प्रकृति की गोद में बैठकर शांति का अनुभव कर सकें। दूर-दूर तक फैली हरियाली और पहाड़ियों के बीच बने पतले, ऊंचे-नीचे व घुमावदार रास्ते ट्रैकिंग के लिए आकर्षित करते हैं।

देखें सनसेट का अद्भुत नजार
दलाई लामा के मंदिर से सनसेट का नजारा देखना अपने आप में अद्भुत होता है। यह दृश्य देखने के लिए लोग दूर-दूर से यहां आते हैं। यहां आने वाले सैलानी तो यहां शाम के समय तक जरूर रुकते हैं। इसके साथ ही अपने फोटो भी खिंचाते हैं।

भागसूनाग मंदिर और झरना
मेकलॉडगंज के आस-पास बने मंदिर लोगों को खासे आकर्षित करते हैं। यहां से लगभग 10 किमी की दूरी पर स्थित है भागसूनाग मंदिर। यह भव्य तो नहीं लेकिन प्रसिद्ध जरूर है। स्थानीय लोग दिखावे में यकीन नहीं करते इसलिए इसे ज्यादा चमकाया नहीं गया। कई दूसरे मंदिर भी हैं जहां सैलानी दर्शन करने के लिए जरूर आते हैं।

मंदिर से कुछ ही दूरी पर स्थित है भागसूनाग झरना। इसका पानी एकदम निर्मल और ठंडक भरा होता है। यहां लोग घंटों पत्थरों पर बैठकर झरने की फुहारों का आनंद लेते हैं। बड़ों से ज्यादा यहां बच्चों का मन लगता है। पहाड़ी रास्तों पर आप बाइकिंग का मजा लेना चाहते हैं तो आपको यहां किराए पर मोटर साइकिल मिल जाएगी।

कैसे पहुंच
दिल्ली से मैकलॉडगंज की दूरी लगभग 450 किलो मीटर है। रेल गाड़ी से आने वालों को पठानकोट से सड़क मार्ग चुनना पड़ता है। बस और टैक्सी यहां से आसानी से मिल जाती हैं। सड़क मार्ग से जाने वाले चंडीगढ़ होते हुए सीधे धर्मशाला और वहां से मेकलॉडगंज पहुंच सकते हैं। हवाई जहाज से जाने के लिए भी नजदीकी हवाई अड्डा पठानकोट ही है। यहां ठहरने की भी कोई समस्या नहीं है।

हर बजट के होटल और गेस्ट हाउस मौजूद हैं। हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम के होटलों में भी पहले से बुकिंग कराई जा सकती है। हां, गर्मी के मौसम में कमरों का किराया कुछ बढ़ जाता है। बाकी साल भर कम दामों पर ही बुकिंग होती है।

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