Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

जैन संत आचार्य महाप्रज्ञ का निधन

हमें फॉलो करें जैन संत आचार्य महाप्रज्ञ का निधन
जयपुर , सोमवार, 10 मई 2010 (00:33 IST)
ND
जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ दशम अधिशास्ता एवं अणुव्रत अनुशास्ता जैन धर्म के आचार्यश्री और आचार्य तुलसी के शिष्य आचार्य महाप्रज्ञ का रविवार को दिल का दौरा पड़ने से चूरू जिले के सरदार शहर में निधन हो गया। वे 90 वर्ष के थे।

आचार्य महाप्रज्ञ प्रतिष्ठान के मीडिया प्रभारी शीतल बरडिया ने बताया कि आचार्य महाप्रज्ञ ने आज सुबह नियमित प्रवचन दिया। प्रवचन के बाद तीसरे प्रहर दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया। उन्होंने बताया कि आचार्यश्री का अंतिम संस्कार सोमवार को सरदारशहर में किया जाएगा।

बरडिया के अनुसार आचार्य महाप्रज्ञ अपने धर्मसंघ के साथ 25 अप्रैल को सरदारशहर चातुर्मास के लिए आए थे। आचार्य महाप्रज्ञ को आगामी दिनों अक्षय तृतीया के मौके पर आयोजित कार्यक्रम और अपनी 91वीं वर्षगाँठ प्रेक्षा दिवस के रूप में 10 जुलाई को लाखों लोगों को प्रवचन देना था।

आचार्य महाप्रज्ञ का जन्म 14 जून 1920 को राजस्थान के झुंझुनू जिले के टमकोर गाँव में हुआ था और आचार्य महाप्रज्ञ की उपाधि मिलने से पहले उनका नाम मुनि नथमल था।

चोरडिया (अग्रवाल) परिवार में जन्म लेने वाले आचार्य महाप्रज्ञ ने अपनी माँ के साथ मात्र दस साल की उम्र में तेरापंथ के अष्ट आचार्य कालूगणी से जैन मुनि की दीक्षा प्राप्त की थी। तेरापंथ के नौवें आचार्यश्री तुलसी ने 59वें वर्ष में आचार्य महाप्रज्ञ को तेरापंथ के युवाचार्य का पद सौंपा। वर्ष 1995 में दिल्ली में आचार्य तुलसी ने आचार्य महाप्रज्ञ को आचार्य पद सौंपा। वर्ष 1997 में आचार्य तुलसी का निधन होने पर आचार्य महाप्रज्ञ तेरापंथ धर्मसंघ के सर्वोच्च धर्मगुरु बने। चौदह साल तक आचार्य महाप्रज्ञ रहते हुए देश भर में अहिंसा यात्रा कर प्रवचन दिए।

नब्बे वर्षीय आचार्य महाप्रज्ञ ने तीन सौ से अधिक पुस्तकें लिखी हैं। इसके अलावा जैन पत्र-पत्रिकाओं का संपादन किया और जैन योग एवं ध्यान परम्परा को आगे बढ़ाया। आचार्य महाप्रज्ञ के निधन का समाचार मिलते ही जैन धर्मावलंबियों और अनुयायियों का जयपुर से करीब एक सौ अस्सी किलोमीटर दूर सरदारशहर (चूरू) पहुँचना शुरू हो गया है। (भाषा)

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi