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भारत बचा सकता है दुनिया को हिंसा से

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नई दिल्ली , मंगलवार, 9 अक्टूबर 2012 (00:55 IST)
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संयुक्त राष्ट्र से जुड़ी एक संस्था के प्रमुख ने यहां कहा कि भारत पूरी दुनिया में नागरिकों को हिंसा और मानवता के विरुद्ध हो रहे अपराधों से बचाने में बड़ी भूमिका निभा सकता है।

विश्व संयुक्त राष्ट्र संस्था संघ (डब्ल्यूएफयूएनए) के महासचिव बोनियान गुलमुहम्मदी ने कहा, भारत अत्याचारों, नरसंहार, युद्ध अपराधों, मानवता के विरुद्ध अपराधों और जातीय संघर्षों से नागरिकों की सुरक्षा को लेकर अपनी प्रतिबद्धता के सिलसिले में बड़ी भूमिका निभा सकता है। दुनियाभर में इस बाबत बहस के लिए 2005 में संरक्षण की जिम्मेदारी (रिसपांसिबिलिटी टू प्रोटेक्ट) आर2पी परियोजना की शुरुआत की गई थी।

बोनियान ने कहा, एक उभरती और प्रभावशाली महाशक्ति के तौर पर भारत आर2पी के क्रियान्वयन को मजबूत करने और इसमें सुधार के लिए सक्रिय तथा सकारात्मक भूमिका अदा कर सकता है।

भारत में कश्मीरी पंडितों के विस्थापन और अन्य जगहों पर अल्पसंख्यकों के साथ कथित ज्यादती को रोकने में संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय समुदाय की भूमिका से जुड़े एक प्रतिनिधि के सवाल पर बोनियान ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के सदस्य राष्ट्र प्रत्येक देश की संप्रभुता के पक्ष में हैं और इसलिए आंतरिक राजनीति में हस्तक्षेप की वकालत नहीं करते।

ब्राजील की प्रतिनिधि एना पॉल कोबे ने कहा कि भारत सहित अनेक देशो में अल्पसंख्यकों के प्रति संयुक्त राष्ट्र सचेत है, लेकिन वह स्वतंत्र निकाय के तौर पर कार्रवाई नहीं कर सकता। इसमें आम सहमति से काम करना होता है।

बोनियान ने कहा, हालांकि जब देश अपने यहां ज्यादतियों को रोकने में विफल रहते हैं या उनके लिए खुद जिम्मेदार हैं तो हमें क्या कदम उठाने चाहिए? इसी विषय पर हम भारत में बहस चाहते हैं।

भारत की संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्यता की प्रक्रिया के संबंध में पूछे गए सवाल पर बोनियान ने कहा कि सुधार एक बड़ा विषय है। भारतीय संयुक्त राष्ट्र संस्था संघ (इफुना) के महासचिव सुरेश श्रीवास्तव ने कहा कि भारत सामूहिक अत्याचारों से संरक्षण के उद्देश्य के साथ है।

बोनियान ने कहा कि सैन्यबलों का इस्तेमाल अंतिम विकल्प होना चाहिए। प्रत्येक देश की अपनी सीमाओं के अंदर अपराधों को रोकने की जिम्मेदारी है। इस संबंध में दुनियाभर के एनजीओ, शिक्षाविदों, मीडिया में जानकारी के प्रसार के साथ देशों की संसदों में चर्चा होनी चाहिए।

उन्होंने बताया कि चीन, वेनेजुएला और केन्या में इस तरह के सेमिनार के आयोजन के बाद भारत में इस पर चर्चा की जा रही है। संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक बोझ को सभी सदस्य देशों को बराबर उठाना चाहिए, ताकि शांतिरक्षण बलों को कायम रखा जा सके। शांति रक्षण अभियान में भारत का अच्छा योगदान है और अन्य देशों को भी वित्तीय सहयोग के साथ इसमें साझेदारी करनी चाहिए।

आज की कांफ्रेंस में शामिल प्रतिनिधियों ने अत्याचारों से नागरिकों को बचाने में अंतरराष्ट्रीय समुदाय के हस्तक्षेप के प्रारूप पर विचार किया। सीरिया में हिंसा के विषय पर संयुक्त राष्ट्र के प्रयासों को अधूरा बताते हुए बोनियान ने कहा कि सुरक्षा परिषद को इस बाबत और जिम्मेदारी निभानी है।

उन्होंने कहा कि बलों के इस्तेमाल से पहले अनेक तरह के उपाय अपनाए जा सकते हैं। इस संबंध में संयुक्त राष्ट्र के पूर्व महासचिव कोफी अन्नान ने काफी प्रयास किए हैं, लेकिन सुरक्षा परिषद और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से पर्याप्त समर्थन नहीं मिल पाया है। (भाषा)

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