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राजीव गांधी हत्याकांड, छिपाया गया था अहम सबूत!

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नई दिल्ली। क्या राजीव गांधी की हत्या से जुड़े अहम सबूत को छिपाया गया और यदि ऐसा है तो इसका मकसद क्या था? एक अहम खुलासे में कहा गया है कि इंटेलिजेंस ब्यूरो के तत्कालीन मुखिया एमके नारायण ने पूर्व प्रधानमंत्री की हत्या से जुड़े एक महत्वपूर्ण सबूत को दबा ‍‍दिया था। यह सबूत था एक वीडियो, जिसमें मानव बम बनी धनु को विस्फोट से पहले देखा गया।

उल्लेखनीय है कि 21 मई, 1991 को सुबह 10 बजे के करीब एक महिला राजीव गांधी के पांव छूने के लिए जैसे ही झुकी उसके शरीर में लगा आरडीएक्स फट गया और गांधी की मौत हो गई। उस समय राजीव तमिलनाडु के श्रीपैराम्बदूर में चुनाव प्रचार के लिए गए थे। यह आत्मघाती हमला लिट्‍टे ने किया था।

दरअसल राजीव हत्याकांड के मुख्‍य जांच अधिकारी रहे के. रागोथामन ने एक किताब लिखी है। 'कंस्पिरेसी टु किल राजीव गांधी : फ्रॉम सीबीआई फाइल्स' नामक किताब में रागोथामन ने दावा किया है कि हत्याकांड में अहम सबूत एक वीडियो टेप को आईबी ने एक कैमरामैन से हत्या के अगले दिन बरामद किया था, लेकिन जांच टीम को यह टेप उपलब्ध नहीं कराया गया।

रागोथामन के मुताबिक हत्यारों का दस्ता करीब ढाई घंटे तक सुरक्षित क्षेत्र में घूमता रहा। वे लोग राजीव के आने का इंतजार कर रहे थे। बाद में तमिलनाडु पुलिस ने दावा किया कि धनु राजीव गांधी के आने के बाद सुरक्षित क्षेत्र में घुसी थी। अगर यह वीडियो जांच के लिए दिया गया होता तो पुलिस का यह दावा गलत साबित हो जाता। रागोथामन कहते हैं कि आईबी अधिकारियों को मिला टेप ही असली था, जबकि पुलिस को अलग टेप दिया गया।

आखिर इस टेप को दबाने का असल मकसद क्या था? इसके जवाब में रागोथामन अपनी किताब में लिखते हैं कि चूंकि उस समय (1991 में) लोकसभा चुनाव चल रहे थे और इससे कांग्रेस को शर्मिंदगी उठानी पड़ सकती थी, जो कि नारायण नहीं चाहते थे। गौरतलब है कि इस समय एमके नारायण पश्चिम बंगाल के राज्यपाल हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि वे कांग्रेस के कितने करीबी हैं।

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