Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

कामभावना को उन्नति में रोड़ा मानते थे गाँधीजी

हमें फॉलो करें कामभावना को उन्नति में रोड़ा मानते थे गाँधीजी
नई दिल्ली (भाषा) , शुक्रवार, 7 नवंबर 2008 (10:39 IST)
महात्मा गाँधी कामभावना पर नियंत्रण न होने को ही आध्यात्मिक उन्नति के रास्ते का सबसे बड़ा रोड़ा मानते थे।

मनोविज्ञानी सुधीर कक्कड़ ने अपनी पुस्तक 'मैड एंड डिवाइन स्पिरिट एंड साइके इन द मॉडर्न वर्ल्ड' में कहा है जिस तरीके से गाँधीजी ने संघर्ष की परिकल्पना की और काम के देवता के साथ जीवनभर चले, संघर्ष का मुकाबला करने के लिए जो तरीके उन्होंने चुने, उसने उन्हें कई लोगों खासतौर पर पश्चिम के लोगों के उपहास का पात्र बना दिया जो उनके कामवासना संबंधी विचारों में सनक देखते हैं।

पेंग्विन द्वारा प्रकाशित पुस्तक में उन्होंने कहा है लोगों को प्रभावित करने और घटनाओं की असफलताओं की स्थिति में गाँधी उन कमियों को ढूँढ़ते थे, जो वासना पर संयम नहीं हो पाने के चलते हो सकती थीं। वे यह जानने की कोशिश करते थे कि कहीं काम के देवता ने उनके मस्तिष्क को अपने अधिकार में तो नहीं ले लिया, जिसके चलते वे अपनी आध्यात्मिक शक्तियों से वंचित हो गए हों।

लेखक के अनुसार व्यापक राजनीतिक उठापटक और धार्मिक उन्माद के बीच गाँधी ने अपने साप्ताहिक पत्र में ब्रह्मचर्य पर पाँच आलेख लिखे।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi