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भष्टाचार के खिलाफ मनमोहन सख्त हुए

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नई दिल्ली , गुरुवार, 24 फ़रवरी 2011 (17:57 IST)
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प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह ने भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ा रूख अख्तियार करते हुए कहा कि 2-जी स्पेक्ट्रम घोटाले और राष्ट्रमंडल खेल आयोजन में अनियमितताओं में शामिल किसी को बख्शा नहीं जाएगा और कानून अपना काम करेगा। सिंह ने यह भी कहा कि सार्वजनिक जीवन को साफ सुथरा करने के लिए सरकार हरसंभव प्रयास करेगी।

लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव की चर्चा पर जवाब देते हुए सिंह ने कांग्रेस के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार का जबर्दस्त बचाव करते हुए विपक्ष पर जवाबी हमला बोलते हुए कहा कि लोग घोटालों की बात करते हैं, यदि कोई घोटाला है तो उसकी जांच होनी चाहिए और इसमें शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि आलोचना उचित है लेकिन यदि लोग इरादों पर शक करना शुरू कर दें तो यह संसदीय प्रणाली के लिए अच्छा नहीं है। किसी भी गलत काम करने वाले को बख्शा नहीं जाएगा। कानून से कोई बच नहीं पाएगा। जब-जब विश्वसनीय साक्ष्य मिले हैं, गलत काम करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की गई है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार सार्वजनिक जीवन में भ्रष्टाचार के सफाए के लिए हरसंभव प्रयास करेगी। बाद में सदन ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव को ध्वनिमत से पारित कर दिया।

राष्ट्रमंडल खेलों के आयोजन में हुई अनियमितताओं के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा कि यदि कुछ गलत होता है तो हम दोषी को दंडित करेंगे और किसी को बख्शा नहीं जाएगा। उच्चाधिकार प्राप्त समिति इन पहलुओं पर विचार कर रही है।

सिंह ने हालाँकि 2-जी स्पेक्ट्रम लाइसेंस आवंटित करने के लिए अपनाई गई नीति का बचाव करते हुए कहा कि नुकसान के आकलन का कोई आधार नहीं है। 2-जी लाइसेंस की नीति में कुछ गलत नहीं है। मैं मानता हूँ कि समान प्रतिस्पर्धा वाला माहौल मुहैया कराने के लिए यही उचित होगा कि हम उसी रास्ते पर चलना जारी रखें, जिस पर 2007 से चल रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने हालाँकि सदन से वायदा किया कि सरकार सभी एजेंसियों का सहयोग करेगी ताकि सुनिश्चित हो सके कि दूरसंचार विवाद में सच्चाई सामने आ सके।

एस-बैंड स्पेक्ट्रम सौदे को लेकर विपक्ष को आड़े हाथ लेते हुए उन्होंने दावा किया कि निजी कंपनियों को उपग्रह बैंड देने के बारे में फैसला गैर-कांग्रेस सरकार ने किया था।

देवास मल्टीमीडिया और इसरो की वाणिज्यिक इकाई एंट्रिक्स कॉर्पोरेशन लिमिटेड के बीच हुए विवादास्पद सौदे का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि उपग्रह सेवाएँ गैर सरकारी कंपनियों को देने का फैसला 1997 में गैर कांग्रेस सरकार ने किया था और 2000 में राजग सरकार ने इसे मंजूरी दी।

एंट्रिक्स या देवास को उपग्रह स्पेक्ट्रम का कोई आवंटन नहीं किया गया और कई लाख करोड रुपए के नुकसान की खबरों का कोई आधार नहीं है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि एंट्रिक्स ने जनवरी 2005 में देवास के साथ समझौता किया था। यह समझौता इसरो द्वारा निर्मित ट्रांसपोर्डर देवास को लीज पर दिए जाने से संबंधित था। लेकिन संबद्ध मंत्रालयों द्वारा लाइसेंस नहीं दिए जाने के कारण यह समझौता अमली जामा नहीं पहन सका। उसके बाद अंतरिक्ष आयोग ने फैसला किया कि सौदे को रद्द कर दिया जाए।

विदेश में जमा काले धन की चर्चा करते हुए उन्होंने स्वीकार किया कि सरकार को काले धन के प्रवाह को रोकने के लिए कानूनों में बदलाव करना है। काले धन का संग्रह पिछले चार-पाँच साल की बात नहीं है। यह कई वर्षों से हो रहा है। हम पार्टियों के साथ मिल बैठकर उनसे मदद लेंगे और पता लगाएँगे कि काले धन की समस्या से कैसे निपटा जा सकता है।

उन्होंने कहा कि विदेश में जमा काले धन को स्वदेश वापस लाने के लिए जो कुछ भी किया जाना है, उस बारे में हमारी राय विपक्ष की राय जैसी ही है।

भ्रष्टाचार के अलावा प्रधानमंत्री अपने जवाब में अर्थव्यवस्था के बारे में भी प्रमुखता से बोले। उन्होंने माना कि महँगाई समस्या बन गई है। उन्होंने बचाव की मुद्रा में आते हुए कहा कि देश की आर्थिक विकास की गति को नुकसान पहुँचाए बिना महँगाई को नियंत्रित किया जाएगा।

सिंह ने कहा कि पिछले 18 महीनों में मुद्रास्फीति समस्या बन गई है। हम मुद्रास्फीति पर नियंत्रण पाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा कि मुझे उम्मीद है कि साल के अंत तक मुद्रास्फीति की दर गिरकर सात प्रतिशत पर आ जाएगी। मुझे उम्मीद है कि खाद्य मुद्रास्फीति भी नीचे आएगी।

अनाज जैसे उत्पादों की कीमतें हम नियंत्रित कर सकते हैं। हम मुद्रास्फीति पर नियंत्रण पा सकते हैं लेकिन ऐसे तरीके से, जिससे विकास की प्रक्रिया पर कोई प्रतिकूल प्रभाव न पड़े। मुद्रास्फीति को कृषि उत्पादन बढ़ाकर और कृषि क्षेत्र में निवेश के जरिए नियंत्रित किया जा सकता है। (भाषा)

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