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अरविंद केजरीवाल के निशाने पर रिलायंस

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नई दिल्ली , बुधवार, 31 अक्टूबर 2012 (23:53 IST)
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रिलायंस इंडस्ट्रीज के मुकेश अंबानी को निशाना बनाते हुए इंडिया अगेंस्ट करप्शन (आईएसी) के अरविन्द केजरीवाल ने बुधवार को संप्रग और पूर्व राजग सरकार पर केजी बेसिन में गैस के उत्खनन का ठेका देने में इस कंपनी का पक्ष लेने और उसे रियायत देकर सरकारी खजाने को भारी नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया।

इसे ‘सांठगांठ वाले पूंजीवाद’ का उत्कृष्ठ नमूना करार देते हुए अरविंद केजरीवाल और प्रशांत भूषण ने आरोप लगाया कि उत्पादन को करीब-करीब बंद करके और छोटे कारोबारियों की तरह जमाखोरी करके रिलायंस ने सरकार को गैस की कीमतें बढ़ाने के लिए ‘ब्लैकमेल’ करने का काम किया।

जयपाल रेड्डी को पेट्रोलियम मंत्रालय से हटाने के निर्णय पर सरकार को आड़े हाथों लेते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि अब यह पूरी तरह से स्पष्ट हो गया है कि उन्हें रिलायंस इंडस्ट्रीज के दबाव के कारण इस अहम मंत्रालय से हटाया गया।

उन्होंने कहा कि रेड्डी ईमानदार व्यक्ति है और उन्हें इसलिए हटाया गया क्योंकि उन्होंने गैस की कीमतों को बढ़ाने की रिलायंस की मांग का मजबूती से विरोध किया था और जानबूझ कर गैस का उत्पादन घटाने के लिए कंपनी पर जुर्माना लगाना चाहते थे।

केजरीवाल ने पूछा कि जब तत्कालीन पेट्रोलियम मंत्री मणिशंकर अय्यर ने 2006 में गैस की कीमत को प्रति इकाई 2.34 डॉलर से बढ़ाकर प्रति इकाई 4.2 डॉलर करने की रिलायंस की मांग को मानने से इनकार कर दिया था, तब प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह ने इस बारे में अटॉर्नी जनरल से सलाह क्यों नहीं मांगी?

उन्होंने कहा कि 2006 में अय्यर को हटाया गया और मुरली देवड़ा को लाया गया। उन्होंने (देवड़ा ने) डेढ़ महीने में सभी फाइलों को निपटा दिया। इस बारे में अटॉर्नी जनरल की राय क्यों नहीं मांगते? प्रधानमंत्री का दिल क्यों केवल रिलायंस के लिए ही धड़कता है? नए पेट्रोलियम मंत्री एम. वीरप्पा मोइली ने इन आरोपों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करने से इनकार ‍कर दिया है।

केजरीवाल ने कहा कि हमेशा यही कहा जाता है कि प्रधानमंत्री भ्रष्टाचार में शामिल नहीं है, लेकिन 2जी और कोयला ब्लॉक आवंटन जैसे विभिन्न मामलों में सरकार की ओर से लिए गए कुछ निर्णयों के लिए वे भी भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के दायरे में आते हैं।

उन्होंने मांग की कि केजी बेसिन सौदे को रद्द किया जाना चाहिए और सरकार को तत्काल ऐसी उपयुक्त व्यवस्था करनी चाहिए ताकि उसी स्थान पर देश के लिए सस्ते मूल्य पर पूरी क्षमता में उत्पादन किया जा सके। (एजेंसियां)

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