Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

हिरासत में मौत दुर्लभतम अपराध-न्यायालय

पुलिसकर्मियों ने किया था मृतक की पत्नी से बलात्कार

हमें फॉलो करें हिरासत में मौत दुर्लभतम अपराध-न्यायालय
नई दिल्ली , बुधवार, 30 मार्च 2011 (00:25 IST)
FILE
पुलिस द्वारा हिरासत में की गई हत्या के बारे में अपने विचार जाहिर करते हुए उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को इसे ‘दुर्लभ से दुर्लभतम अपराध, जो मौत की सजा का हकदार है' बताया और कहा कि वह इस मामले में तमिलनाडु के कुछ पुलिसकर्मियों को मौत की सजा देने पर विचार करता। इस मामले में तमिलनाडु पुलिसकर्मियों ने 1992 में हिरासत में एक संदिग्ध चोर को पीट-पीटकर मार डाला था और उसकी पत्नी से सामूहिक बलात्कार किया था।

न्यायाधीश मार्कंडेय काट्जू और ज्ञानसुधा मिश्रा की पीठ ने तमिलनाडु पुलिस के कुछ पूर्व पुलिसकर्मियों की संयुक्त अपील को खारिज करते हुए यह बात कही। इन्होंने न्यायिक हिंसा संबंधी मामले में दोषी करार दिए जाने के फैसले को चुनौती दी थी।

पीठ ने कहा कि पुलिस हिरासत में पुलिसकर्मियों द्वारा हत्या हमारे विचार में दुर्लभ से दुर्लभतम श्रेणी में आती है, जिसके लिए मौत की सजा दी जानी चाहिए। मामले के ‘रौंगटे खड़े कर देने वाले तथ्यों’ का संज्ञान लेने के बाद पीठ ने कहा कि यदि कभी कोई ऐसा मामला रहा हो जिसमें मौत की सजा की दरकार हो तो यह वही मामला है, लेकिन यह बेहद खेदजनक है कि निचली अदालतों ने आरोपियों के खिलाफ न तो इस प्रकार की कोई सजा सुनाई और न ही भादसं की धारा 302 (हत्या) के तहत आरोप तय किए।

यह मामला एक संदिग्ध चोर नंदगोपाल के खिलाफ हिरासत में हिंसा का था जिसमें 30 मई से दो जून 1992 के बीच चेन्नई के अन्नामलिंगार पुलिस थाने में आधा दर्जन से अधिक पुलिसकर्मियों और अधिकारियों ने उसे पीट-पीटकर मार डाला था।

नंदगोपाल को अपनी हिरासत में रखते हुए पुलिसकर्मियों ने उसके सामने उसकी पत्नी के साथ सामूहिक बलात्कार किया। इस दौरान पुलिस थाने की कुछ महिला पुलिसकर्मी अपने पुरुष सहकर्मियों के इस कृत्य से आँखें मूँदे रहीं। (भाषा)

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi