Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

एस-बैंड सौदा पीएमओ में नहीं आया था

हमें फॉलो करें एस-बैंड सौदा पीएमओ में नहीं आया था
नई दिल्ली , गुरुवार, 24 फ़रवरी 2011 (17:57 IST)
एस बैंड स्पेक्ट्रम आवंटन विवाद पर प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह ने गुरुवार को कहा कि उनके कार्यालय को अमेरिकी कंपनी की भारतीय इकाई देवास को दो उपग्रहों पर ट्रांसपोंडर फ्रीक्वेन्सी के आवंटन के समझौते संबंधी दस्तावेज मंजूरी के लिए कभी नहीं मिले।

राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान विपक्षी सदस्यों ने जानना चाहा कि देवास मल्टीमीडिया प्रा लि तथा इसरो की व्यावसायिक शाखा एंट्रिक्स के बीच हुए सौदे को प्रधानमंत्री कार्यालय में किसने मंजूरी दी थी। इस पर हस्तक्षेप करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा ‘सौदे की मंजूरी के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय से कहे जाने का सवाल ही नहीं है। यह इस स्तर पर कभी आया ही नहीं।’

उन्होंने कहा कि एंट्रिक्स इसरो की एक व्यावसायिक शाखा है और सामान्य तौर पर देवास के साथ हुए इसके सौदे के दस्तावेज मंजूरी के लिए सरकार के पास नहीं आए। उन्होंने कहा कि आम तौर पर ऐसी बातें इसरो तक ही सीमित रहती हैं।

उन्होंने प्रकाश जावड़ेकर के पूरक प्रश्न के जवाब में कहा ‘इसमें एक प्रतिबद्धता उपग्रह के प्रक्षेपण की थी और इससे संबंधित दस्तावेज मंत्रिमंडल के समक्ष आए थे। लेकिन मंत्रिमंडल के समक्ष आए नोट में देवास-एंट्रिक्स सौदे का कोई जिक्र नहीं था।’ मेसर्स देवास मल्टीमीडिया प्रा. लि. अमेरिकी कंपनी फोर्ज एडवाइजर्स की भारतीय शाखा है।

प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री वी. नारायण सामी ने कहा कि अंतरिक्ष विभाग द्वारा 1992 में स्थापित एंट्रिक्स कॉपरेरेशन लिमिटेड ने जनवरी 2005 में दो भूस्थिर उपग्रहों के एस बैंड स्पेक्ट्रम में अंतरिक्ष खंड क्षमता (स्पेस सेगमेंट कैपेसिटी) के भाग को पट्टे पर देने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।

समझौते की शर्तो के अनुसार, इन उपग्रहों की ट्रांसपोंडर क्षमता का कुछ भाग 12 साल तक देवास को उपलब्ध कराया जाएगा। सामी ने बताया कि जून 1997 में मंत्रिमंडल ने भारत के लिए उपग्रह संचार नीति के जिस ढाँचे को मंजूरी दी थी उसके अनुसार, इन्सैट क्षमता गैर सरकारी पक्षों को पट्टे पर दी जा सकती है। इस नीति के कार्यान्वयन, दिशानिर्देश तथा प्रक्रिया को मंत्रिमंडल ने जनवरी 2000 में अनुमोदित किया।

उन्होंने कहा ‘इस क्षमता की मार्केटिंग के लिए अन्य एजेंसियों के साथ द्विपक्षीय करार किए जा सकते हैं।’ उन्होंने कहा कि भारत में डिजिटल मल्टीमीडिया सेवाओं को उत्प्रेरित करने के लिए एंट्रिक्स ने जुलाई 2003 में अमेरिका की मेसर्स फोर्ज एडवाइजर कंपनी के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।

बाद में फोर्ज एडवाइजर ने मेसर्स देवास मल्टीमडिया प्रा. लि. नामक भारतीय कंपनी स्थापित की जिसके साथ एंट्रिक्स ने, दो उपग्रहों में एस बैंड ट्रांसपोंडर क्षमता को पट्टे पर देने के लिए एक करार पर जनवरी 2005 में हस्ताक्षर किए।

सामी ने कहा कि एस बैंड स्पेक्ट्रम आवंटन के बारे में शिकायत 2009 में मिली थी। अंतरिक्ष आयोग को जब लगा कि एस बैंड की जरूरत रक्षा, अर्धसैनिक बलों और अन्य उद्देश्यों के लिए है तो यह सौदा रद्द कर दिया गया। सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने भी सौदा रद्द कर दिया।

उन्होंने कहा ‘यदि कुछ भी गलत हुआ है तो प्रधानमंत्री निश्चित रूप से कार्रवाई करेंगे। जैसे ही यह सरकार की जानकारी में आया, कार्रवाई तत्काल की गई।’ (भाषा)

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi