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अटल को ढाल बना रहे हैं प्रधानमंत्री-जेटली

हमें फॉलो करें अटल को ढाल बना रहे हैं प्रधानमंत्री-जेटली
मुंबई (भाषा) , शनिवार, 1 अगस्त 2009 (22:56 IST)
भाजपा नेता अरुण जेटली ने प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह पर आरोप लगाया कि वह पाकिस्तान से उसकी नियम-शर्तों पर बात करने की ऐतिहासिक त्रुटि को ढकने के लिए अपने पूर्ववर्ती अटल बिहारी वाजपेयी को एक ढाल के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं।

दक्षिण मुंबई में भाजपा कार्यालय में शनिवार शाम पार्टी कार्यकर्ताओं की एक बैठक में जेटली ने कहा कि पाकिस्तान के साथ रिश्तों पर देश के विचार को सीमित करके प्रधानमंत्री ने खुद को कमजोर स्थिति में पहुँचाया है।

इस मुद्दे पर संसद में दिए गए मनमोहनसिंह के वक्तव्य का जिक्र करते हुए जेटली ने कहा कि प्रधानमंत्री ने कहा था कि वार्ता का केवल एक विकल्प है और वह है पाकिस्तान के साथ युद्ध।

वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा कि जब आगरा वार्ता विफल रही तो कोई युद्ध नहीं हुआ था। वाजपेयी ने पाकिस्तान के साथ सिंह की तुलना में मजबूती से बातचीत की, जबकि सिंह हमें यह बताकर देश को कमजोर स्थिति में लाए हैं कि यदि हम तब पाकिस्तान से बातचीत नहीं करते तो युद्ध होता।

वर्ष 2004 के भारत-पाक संयुक्त स्पष्टीकरण पर जेटली ने कहा कि वाजपेयी के शासनकाल में ही पाकिस्तान ने लिखित शपथपत्र दिया था कि इसकी सरजमीं को भारत के खिलाफ इस्तेमाल नहीं होने दिया जाएगा।

जेटली ने कहा कि पाकिस्तान के साथ समझौता करके सरकार ने उन लोगों की शहादत के साथ समझौता किया, जिन्होंने मुंबई में 26 नवंबर के आतंकी हमलों में अपनी जान गँवा दी।

उन्होंने कहा कि मनमोहनसिंह ने जब 2006 में हवाना में यह कहा था कि पाकिस्तान भी आतंकवाद का शिकार है तो उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच ‘नैतिक समता’ प्रदर्शित की।

जेटली ने संप्रग सरकार द्वारा मिस्र के शर्म अल शेख में दिए गए संयुक्त बयान में बलूचिस्तान के जिक्र संबंधी तर्क को ‘मूखर्तापूर्ण’ करार दिया।

उन्होंने कहा कि संयुक्त बयान में यह जिक्र किया गया है कि आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई को वार्ता से नहीं जोड़ा जाएगा, जिसका स्पष्ट अर्थ है कि आतंकवाद के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होने पर भी वार्ता जारी रहेगी।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने संसद में जो हमें बताया, उसका मतलब है कि पाकिस्तान को आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए और तब वार्ता होगी। जेटली ने विदेश सचिव शिवशंकर मेनन के इन बयानों की भी आलोचना की कि बयान एक खराब खाका का परिणाम हो सकता है।

उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय संबंध दो देशों के बीच दस्तखत वाले संयुक्त पाठ पर निर्भर करते हैं। उन्होंने कहा कि बलूचिस्तान और संयुक्त बयान के मुद्दे पर कांग्रेस चुप है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी ने संसद में दिए गए प्रधानमंत्री के बयान का समर्थन किया और मिस्र में जो हुआ, उस पर वे चुप हैं।

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