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अपनी भूमिका निभाएगा भारत-मनमोहन

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नई दिल्ली , मंगलवार, 27 अप्रैल 2010 (23:47 IST)
प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह ने मंगलवार को दक्षेस से इस बात पर विचार करने के लिए कहा कि वह तेजी से बदलती दुनिया में एक सही भूमिका कैसे निभा सकता है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि भारत दक्षिण एशिया के पुनरुत्थान में मदद के लिए तैयार है, जिसे व्यापक एकजुटता के प्रचलन से मुक्त नहीं रखा जा सकता।

मनमोहनसिंह ने बुधवार से भूटान में शुरू होने वाले दक्षेस शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए रवाना होने की पूर्व संध्या पर एक वक्तव्य में कहा कि पूरी दुनिया में बदलाव की बयार बह रही है। ऐसे में दक्षिण एशिया क्षेत्रीय और वैश्विक दोनों ही स्तरों पर व्यापक एकजुटता के प्रचलन से मुक्त नहीं रह सकता।

उन्होंने कहा कि शिखरवार्ता इस क्षेत्र के लोगों को सामूहिक तौर पर यह झलकाने का अवसर प्रदान करेगी कि हम कहाँ हैं, हमारी जनता की विकास से जुड़ी आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए हम साथ में और क्या कर सकते हैं, और दक्षिण एशिया किस तरह अंतरराष्ट्रीय संदर्भ में उचित भूमिका निभा सकता है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि यदि हम दक्षिण एशियाई देशों के तौर पर साथ में काम करते हैं, तो ऐसा कुछ भी नहीं है जो हम प्राप्त नहीं कर सकें। दक्षिण एशिया के पुनरुत्थान में भारत अपनी भूमिका निभाएगा।

शिखर सम्मेलन की थीम ‘जलवायु परिवर्तन’ के विषय में मनमोहन सिंह ने कहा कि वह पृथ्वी के बढ़ते तापमान के प्रभावों से निपटने की रणनीतियों के संबंध में क्षेत्रीय सहयोग पर बातचीत के प्रति आशान्वित हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि हम विशेष तौर पर संवेदनशील क्षेत्र हैं, जहाँ सभी क्षेत्रों में समन्वित और भलीभांति सोची समझी प्रतिक्रिया की जरूरत है। हम सभी एक-दूसरे के अनुभवों और क्षमताओं से सीखकर लाभ उठाने के लिए एक साथ खड़े हों।

उन्होंने कहा कि भूटान के साथ भारत के करीबी रिश्ते हैं जो पूरी तरह आपसी हितों और समझ पर आधारित हैं। सिंह ने कहा कि इस ठोस बुनियाद पर अपने संबंधों के निर्माण के लिए वह अपने भूटानी समकक्ष जिग्मी वाय. थिनले के साथ द्विपक्षीय बातचीत के प्रति आशान्वित हैं।

उन्होंने कहा कि मैं अन्य दक्षेस देशों के नेताओं के साथ अपनी मुलाकात को लेकर भी आशान्वित हूँ। प्रधानमंत्री ने कहा कि 1985 में दक्षेस की स्थापना दक्षिण एशियाई क्षेत्र के लिहाज से एक दूरदर्शी कदम था। इस दौरान क्षेत्र ने बड़ा बदलाव देखा है और क्षेत्रीय आर्थिक सहयोग के विचार को मजबूती मिली है। (भाषा)

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